ग्रीनलैंड एक भौगोलिक रूप से अमेरिकी महाद्वीप का हिस्सा है. यह 1973 में यूरोपीय संघ में शामिल हुआ था जब यह डेनमार्क का अंग था, लेकिन बाद में इसे छोड़ दिया गया. इसके मूल निवासी इनूइट एस्किमो हैं जो कनाडा से ग्रीनलैंड आए थे. ग्रीनलैंड एक स्व-शासित देश है, लेकिन ऊपरी तौर पर इसका नियंत्रण डेनमार्क के पास है. नॉर्थ अमेरिका में होने के बावजूद इसे यूरोप का ही एक हिस्सा माना जाता है. क्षेत्रफल के हिसाब से ग्रीनलैंड दुनिया का 12वां सबसे बड़ा देश है और द्वीप के क्षेत्रफल के हिसाब से इसे दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप भी माना जाता है. यह ब्रिटेन से लगभग 10 गुना बड़ा है. इसका भूखण्ड विशाल है और बड़े हिस्से में इसे साल के ज्यादातर वक्त बर्फ से ढका रहता है.


ग्रीनलैंड का वातावरण


ग्रीनलैंड के केंद्र में बर्फ की चादर की मोटाई 3 किलोमीटर तक पहुंच जाती है. अनुमानों के अनुसार, यदि सभी ग्लेशियर पिघलेंगे तो विश्व महासागर का स्तर 6-7 मीटर तक बढ़ जाएगा. इस देश में गर्मियों में तापमान कभी-कभी +20 डिग्री तक पहुंच जाता है, भले ही कभी-कभी ही क्यों न हो. लेकिन सर्दियों में तापमान -50 डिग्री तक पहुंच सकता है. ग्रीनलैंड में दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर से थोड़ा ही कम है.


ग्रीनलैंड के धरोहर स्थल


ग्रीनलैंड में 3 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी हैं. ग्रीनलैंड जाने के लिए आपको सीधी उड़ान नहीं मिलेगी, आप अमेरिका या दुनिया के किसी भी हिस्से से सीधे इस देश के लिए उड़ान भरकर नहीं पहुंच सकते. इसके स्थानीय यात्रा के लिए आपको डेनमार्क और आइसलैंड के माध्यम से कनेक्टिंग उड़ानें लेनी होंगी. ग्रीनलैंड में सड़क नहीं है और लोग हेलीकॉप्टर, नाव, प्लेन या डॉग स्लेज गाड़ी से ही यात्रा करते हैं. यहां कोई रेल नेटवर्क भी नहीं है. 


ग्रीनलैंड घूमने के लिए कैसा है?


ग्रीनलैंड दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है. यहां आप अमेरिका के मौसम के किसी भी समय में जा सकते हैं, लेकिन अगस्त के महीने में यहां की खूबसूरती अधिक दिखती है. बर्फ से ढकी ग्रीनलैंड सूरज के नीचे भी सुंदर नजर आती है.


पूरे ग्रीनलैंड में किसी भी प्रकार का रोडवे या रेलवे सिस्टम नहीं होता है. यहां लोग हेलीकॉप्टर, नाव या प्लेन से यात्रा करते हैं. यह दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहां गर्मियों के समय में सूरज नहीं डूबता है. रात में भी आप सूरज को देख सकते हैं.


यह भी पढ़ें - 13 तारीख को पृथ्वी पर आसमान से बरसेंगे उल्कापिंड, जानिए ऐसा क्यों हो रहा है?