इतने साल बाद शादियां करना बंद कर देंगे लोग, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
भारत में शादी एक अटूट बंधन है. लेकिन एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आने वाले समय 2100 तक लोग शादी करना बंद कर देंगे. क्या आप जानते हैं कि आने वाले समय में लोग शादियां क्यों नहीं करेंगे.
भारतीय संस्कृति में शादी को पति-पत्नी का अटूट बंधन कहा जाता है. लेकिन अब धीरे-धीरे सामाजिक स्थितियों के बदलने के साथ ही कई बार इसमें बदलाव देखने को मिलते हैं. इसके अलावा कई जगहों पर शादी की अवधारणा भी बदल रही है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी रिपोर्ट के बारे में बताने वाले हैं, जिसमें दावा किया गया है कि आने वाले 2100 साल तक शादी की अवधारणा खत्म हो जाएगी. जी हां, आज हम आपको इस रिपोर्ट के बारे में बताएँगे.
शादी
भारतीय समाज में शादी पति-पत्नी का अटूट बंधन और रीति-रिवाजों से जुड़ा एक आयोजन होता है. हालांकि अब धीरे-धीरे इस अटूट बंधन में कई बार अनबन की खबर जरूर आती है. इतना ही नहीं कई मामलों में पति-पत्नी के बीच छोटी-मोटी अनबन भी तलाक तक पहुंच जाती है. वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर डेटिंग, लिव-इन रिलेशनशिप ये सब कल्चर जो विदेशों तक सीमित था, वो अब भारत में चलन में आ चुका है.
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क्या कहती है रिपोर्ट
एक्सपर्ट के मुताबिक अब महिलाएं स्वतंत्र रहना चाहती हैं, शादी नहीं चाहती हैं. इन सब का नतीजा यह होगा कि आने वाले छह-सात दशकों में यानी लगभग 2100 तक शादी की अवधारणा ही खत्म हो जाएगी. उस वक्त तक कोई शादी नहीं करेगा. एक्सपर्ट के विश्लेषण के मुताबिक सामाजिक बदलाव, बढ़ता व्यक्तिवाद और विकसित हो रही लैंगिक भूमिकाओं के कारण पारंपरिक विवाह अब नहीं रहेंगे.
वहीं लिव-इन रिलेशनशिप और अपरंपरागत रिश्तों में वृद्धि हो रही है. इससे शादी की जरूरत ही खत्म हो रही है. इसके अलावा, तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रगति भी एक कारण है. एक्सपर्ट का मानना है कि इससे भविष्य में मानवीय संबंध अलग दिख सकते हैं. वहीं खासकर महिलाएं अब आत्मनिर्भर जीवन चाहती हैं, उन्हें शादी के बंधन की जरूरत नहीं है. महिलाओं का मानना है कि शादी एक बंधन है, जहां उन्हें आजादी नहीं है, उनका कोई भविष्य नहीं है, वो करियर में आगे नहीं बढ़ सकती हैं.
रिसर्च में हुआ खुलासा
लैनसेट के एक अध्ययन के मुताबिक वर्तमान में पृथ्वी पर 8 अरब लोग रहते हैं. वहीं आने वाले दिनों में इस संख्या में उल्लेखनीय बदलाव आएगा. वैश्विक स्तर पर जनसंख्या प्रजनन दर में तेजी से गिरावट आ रही है. माना जा रहा है कि यह बदलाव भविष्य में इंसानों पर ज्यादा असर डालेगा. वहीं 1950 के दशक से सभी देशों में जन्म दर में गिरावट आ रही है. 1950 में जनसंख्या प्रजनन दर 4.84% थी. वहीं 2021 तक यह घटकर 2.23% रह गई है. 2100 तक इसके 1.59% तक गिरने की संभावन है.
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