आज के इस युग में मोबाइल और इंटरनेट किसी वरदान से कम नहीं है. लेकिन ये भी एक सच है कि भारत समेत दुनियाभर के बच्चों और बड़ों को मोबाइल फोन की लत लग चुकी है. जैसे शराब के नशे को एक लत के रूप में जाना जाता है, ठीक उसी तरीके से मोबाइल फोन का उपयोग करना भी एक लत है. आज हम आपको बताएँगे कि ये लत कितना खतरनाक है. 


बच्चों के पास खुद के फोन


हैप्पीनेट्ज के एक सर्वे में पता चला है कि 12 वर्ष से अधिक उम्र के 69 फीसदी बच्चों के पास अपने खुद के टैबलेट या स्मार्टफोन हैं. इतना ही नहीं इनमें से 74 फीसदी बच्चे यूट्यूब देखते हैं और स्क्रीन पर सबसे ज्यादा वक्त बिताते हैं. वहीं डिजिटल गेमिंग में 61 फीसदी बच्चे बिजी रहते हैं. बता दें कि मोबाइल एंटरटेनमेंट में ही ये बच्चे हर दिन औसतन 2 से 4 घंटे स्क्रीन पर समय देते हैं. 


नशे के बराबर फोन


डोपामाइन शीर्षक से किताब लिख चुकी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड चीफ ऑफ स्टैनफोर्ड एडिक्शन मेडिसिन डुअल डायग्नॉसिस क्लिनिक में साइकेट्री की प्रोफेसर डॉ. अन्ना लेंबके ने बताया कि स्मार्टफोन अपने आप में नशे की दवा पीने का माध्यम हो गया है. उन्होंने कहा कि फोन के जरिए हम बिना किसी नशीले पदार्थ के लगातार कुछ चीजों के आदी होते जा रहे हैं, जिससे हमारी हेल्थ पर गलत असर हो रहा है. 


शराब की लत


शराब या अन्य किसी नशीले पदार्थ की लत सबसे ज्यादा खतरनाक होती है. अक्सर देखने को मिलता है कि लोगों को शराब की लत लग जाती है. ऐसे लोगों को शराब नहीं मिलने पर गुस्साते और चिड़चिड़ापन होता है. एबीपी न्यूज कभी भी किसी शराब समेत अन्य किसी नशे का समर्थन नहीं करता है. शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.   


लत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक


बच्चों को खासकर फोन की लत लग चुकी है. बच्चों को जब फोन नहीं मिलता है, तो वह गुस्साते हैं, खाना नहीं खाते, उनके अंदर चिड़चिड़ापन देखने को भी मिलता है. किसी भी चीज का लत इतना खतरनाक होता है कि उसका असर स्वास्थ्य पर पड़ता है. 


 


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