(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कुछ देर पहले ही फोन में पता चल जाएगा कि भूकंप आने वाला है... जानिए ये कैसे संभव है?
दरअसल, गूगल अर्थक्वेक अर्ली वॉर्निंग सिस्टम पर काम करने वाला एक खास ऐप डेवलप कर रहा है. यह प्रणाली भूकंप आने से कुछ समय पहले ही लोगों को अलर्ट कर देगी.
Earthquake Alert On Phone: भूकंप के कारण बड़ी-बड़ी बिल्डिंग चंद मिनटों में गिर जाती हैं. भूकंप एक अकस्मात घटना है, जिसमें लोगों को खुद को सुरक्षित कर पाने का समय भी नहीं मिल पाता है. कितना अच्छा होता अगर आपका फोन भूकंप आने से कुछ देर पहले आपको अलर्ट कर देता... जी हां, ऐसा मुमकिन है. दरअसल, Google एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित कर रहा है, जो भूकंप आने से कुछ समय पहले ही लोगों को अलर्ट कर देगी. इससे उन्हें खुद को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा, ट्रेनों को धीमा करने, विमानों को उड़ान भरने या उतरने से रोकने और कारों को पुलों या सुरंगों में प्रवेश करने से रोकने के लिए भी यह पर्याप्त समय पहले अलर्ट दे देगा. आइए जानते हैं क्या है ये प्रणाली.
गूगल कर रहा भूकंप अलर्ट प्रणाली पर काम
दरअसल, गूगल अर्थक्वेक अर्ली वॉर्निंग सिस्टम पर काम करने वाला एक खास ऐप डेवलप कर रहा है, जिसका नाम ShakeAlert है. ठीक-ठाक तीव्रता का भूकंप आने पर यह पहले ही आपके फोन पर अलर्ट भेज सकता है कि भूकंप आने वाला है. साथ ही यह डेटा के आधार पर यह भी बता सकता है कि आप कितने मैग्नीट्यूड के झटके महसूस कर सकते हैं. यह ऐप भूकंप की भविष्यवाणी नहीं करता है, बल्कि आपको यह बताता है कि धरती में कंपन हो रही है और भूकंप आने वाला है.
ShakeAlert ऐप
दरअसल, 5 अक्टूबर 2022 को कैलिफोर्निया के बे एरिया में 5.1 तीव्रता का भूकंप आया था. खास बात यह थी कि लोगों को पहले ही इसकी सूचना मिल गई थी. गूगल ने ShakeAlert ऐप को एंड्रॉयड फोन के लिए अगस्त, 2020 में ही लॉन्च कर दिया था. शुरुआत में यह सिर्फ कैलिफोर्निया में 700 सीस्मोमीटर के नेटवर्क पर निर्भर था. सीस्मोमीटर वह उपकरण है जो भूकंप के झटकों का पता लगाता है. ये सीस्मोमीटर यूएसजीएस, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले और राज्य सरकार के भूविज्ञानियों ने स्थापित किए थे.
इस तरह लगाता है भूकंप का पता
यह दो स्रोतों से डेटा का उपयोग करता है. Google के Android ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले अधिकांश स्मार्टफ़ोन में ऑन-बोर्ड एक्सेलेरोमीटर होते हैं, जो फोन के मूवमेंट का पता लगाते हैं. फोन के कुछ सेंसर्स मिनी सीस्मोमीटर की तरह भी काम कर सकते हैं . इस तरह हजारों या लाखों फोन के डेटा को मिलाकर, सिस्टम यह पता लगाता है कि भूकंप हो रहा है या नहीं और अगर हो रहा है तो कहां? इसके बाद यह उस क्षेत्र में फोन पर अलर्ट भेज देता है जहां भूकंपीय तरंगों के हिट होने की संभावना है. क्योंकि
90 से अधिक देशों में उपलब्ध है सर्विस
फोन के रेडियो सिग्नल की रफ्तार भूकंप की तरंगों की तुलना में बहुत तेज होती है. इसलिए भूकंप के केंद्र से दूर के इलाके में झटकों के शुरू होने से पहले अलर्ट पहुंच जाता है और लोग संभल जाते हैं. भूकंप अलर्ट सिस्टम फिलहाल 90 से अधिक देशों में उपलब्ध है. कंपनी अभी इसपर और काम कर रही और दुनियाभर के स्मार्टफोन्स के लिए इसे उपलब्ध कराकर दुनिया का सबसे बड़ा भूकंप अलर्ट सिस्टम विकसित करना चाहती है.
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