फिल्मों में और फोटोज में आपने समुद्री लुटेरों को जरूर देखा होगा. फिल्मों में इनका अंदाज काफी अलग दिखता है. जैसे तीन नोकों वाली टोपी और चुस्त काली पैंट के साथ आंख पर एक पट्टी लगी रहती थी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आंख में इस पट्टी की क्या वजह होती है. क्या यह बचने का कोई तरीका था या महज फैशन की तरह इसका इस्तेमाल किया जाता था. आज हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे की असली वजह क्या है. 


आंखों की रोशनी के कारण


जानकारी के मुताबिक समुद्री डाकुओं के ऐसा करने के पीछे वजह कोई फिल्मी वजह नहीं है. दरअसल समुद्री डाकू अंधेरे में अच्छे से देख पाने के लिए इस पट्टी का इस्तेमाल करते हैं. समुद्री लुटेरों को अंधेरे में और लाइट में एक्टिव रहना होता है. 


क्या कहता है विज्ञान


समुद्री लुटेरों का जीवन समुद्र पर रहने से काफी मुश्किलों से भरा होता है. जहाज में रहने के दौरान ऊपर डेक पर और नीचे अंधेरे में आने जाने से उन्हें बार-बार रोशनी और अंधेरे में आना जाना पड़ता है. डेक के ऊपर समुद्र पर रोशनी पड़ने से वहां चमक कुछ ज्यादा ही रहती है. जब हमारी आंख अचानक से अधेरे या रोशनी का सामना करती है. तब आंखे बदली स्थिति के अनुसार ढलने का प्रयास करती है. अचानक अंधेरा छा जाने पर हमारी आंख की पुतली बड़ी होती या फैलती है. जिससे प्रकाश अंदर जा सके. 


लेकिन यह अंधेरे में देखने के लिए रोशनी पर्याप्त नहीं होती और रोडोरप्सिन नाम का रसायन हिस्सों में बंट जाता है. इसे तंत्रिकाओं के जरिए हमारे दिमाग को संदेश देता है कि आंखों को इस तरह से रखे कि वह धुधले प्रकाश को भी देख सके. लेकिन समस्या ये है कि रोडोप्सिन अंधेरे में नहीं निकलता है. इसलिए आंख को सही नजर हासिल करने के लिए रसायनों का संयोजन स्थापित करने में 20-30 मिनट लग जाते हैं.


पट्टी से मिलती है मदद


समुद्री डाकुओं को एक आंख पर पट्टी लगाने से इसमें मदद मिलती है. समुद्री लुटेरे इससे एक आंख को अंधेरे के लिए और एक आंख को हमेशा रोशनी के लिए तैयार रखते हैं. इतना ही नहीं अंधेरे जाने पर पट्टी को एक आंख से हटा कर दूसरी आंख पर लगा देते हैं. जिससे उन्हें ठीक से देखने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता और तुरंत ही अंधेरे में देख पाते हैं.


 


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