About Pitbull Dog: पिछले दिनों लखनऊ में पालतू पिटबुल कुत्ते ने अपनी ही वृद्ध मालकिन पर हमला करके उनकी जान ले ली थी. जिसके बाद से लगातार इस नस्ल  के कुत्ते के आतंक की खबरें आ रही हैं. पिटबुल नस्ल के कुत्तों ने दिल्ली के आसपास कई लोगों पर हमले किए हैं. अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पिटबुल नस्ल के कुत्तों के बारे में बताएंगे साथ ही इस नस्ल के कुत्तों को लेकर विशेषज्ञ क्या कहते हैं इसकी भी जानकारी देंगे-


पिटबुल के हालिया हमले-


तीन सितंबर को गाजियाबाद में एक पार्क में टहल रहे बच्चे पर पिटबुल ने अपने मालिक के हाथों से छूटकर हमला कर दिया. इस हमले की वजह से वह बच्चा बुरी तरह से घायल हो गया. इससे पहले अगस्त महीने में गाजियाबाद के लोनी से भी इसी तरह की घटना सामने आई जिसमें जिसमें एक 6 साल के बच्चे पर पिटबुल ने हमला किया. गुड़गांव में भी एक महिला पर इस खूंखार नस्ल के कुत्ते के द्वारा हमला किया गया. 


पिटबुल नस्ल के कुत्ते के बारे में-


गैर-लाभकारी संस्था पेटा ने मत्स्यपालन,पशुपालन और डेयरी मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि "लोग पिटबुल को उसके आक्रामक व्यवहार के लिए पाल रहे हैं." पत्र में कहा गया कि "पिटबुल एक खूंखार और आक्रामक नस्ल है. इसे इग्लैंड में एक बेहद आक्रामक और क्रूर खेल के लिए ब्रीड किया गया था. जिसका नाम बीयर बेटिंग था. इस खेल पर 1835 में प्रतिबंध लगा दिया गया."


पेटा ने मंत्री से ये अनुरोध किया कि जानवरों के प्रति क्रूरता और रोकथाम ( कुत्तों का प्रजनन और व्यापार) नियम 2017 में संशोधन करते हुए विदेशी नस्ल के ऐसे कुत्तों को रखने और उनके प्रजनन को प्रतिबंधित किया जाए. गौरतलब है कि पिटबुल कुत्ते को बुलडॉग और टेरियर के बीच क्रॉस के द्वारा पैदा किया गया था. जिसकी चलते इस नस्ल में बुलडॉग जैसी ताकत और टेरियर जैसी दृढ़ता है.


क्या कहते हैं जानकार-


कुत्तों के व्यवहार को समझने वाले जानकारी के अनुसार लोगों के मन में यह धारणा है कि पिटबुल मजबूत और ताकतवर कुत्ते हैं. पिटबुल कुत्तों का इस्तेमाल हरियाणा के एक हिस्से में डॉग फाइट के लिए किया जाता है. उनके अनुसार जब से इन्हें भारत में स्थानीय स्तर पर ब्रीड किया जा रहा है इनकी बेहतर नस्लें नहीं बन रही.


किस वजह से खतरनाक है पिटबुल-


कुत्तों के व्यवहार को समझने वाले जानकार के अनुसार पिटबुल एक ऐसा कुत्ता है जिसे बकायदा शारीरिक व्यायाम और अन्य शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने की जरूरत होती है. लेकिन उसके मालिकों के द्वारा उसे बांध दिया जाता है और उसका सामाजिक तौर पर लोगों से घुलना-मिलना भी नहीं हो पाता. जरूरी है कि इन्हें बकायदा ट्रेंड किया जाए और इनके व्यवहार में थोड़ा सा भी कुछ बदलाव दिखने पर विशेषज्ञों को दिखाया जाए.


पिटबुल के हमले जैसी घटनाओं में मालिकों के कानूनी दायित्व-


अक्सर अपने कुत्तों के हमले से उसके मालिक पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं. लेकिन इसके लिए बाकायदा कानूनी नियम हैं. IPC की धारा 289 (पशुओं के संबंध में लापरवाही पूर्ण व्यवहार) के और अन्य धाराओं के तहत हाल ही गुड़गांव और गाजियाबाद में हुई घटना में मामला दर्ज किया गया.


इसके तहत कारावास की सजा या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार मालिकों को अपने कुत्ते की ताकत और व्यवहार को ध्यान में रखना होगा और उसे नियंत्रित करना होगा.


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