इन बुराइयों से बेहतर बनते हैं खिलाड़ी, चौंकाने वाली रिसर्च आई सामने
खिलाड़ियों पर हुई रिसर्च में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें पाया गया है कि कुछ बुराइयों से खिलाड़ी अपने खेल में बेहतर बनते हैं.
अक्सर हम जब भी कोई खेल देखते हैं तो उस खेल को खेल रह खिलाड़ी को हम उसकी क्षमताओं से आंकते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हाल ही में हुई एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल इस रिसर्च में ये सामने आया है कि खिलाड़ी कुछ चालबाजियों और खराब गुणों से बेहतर बनते हैं. शोध में पाया गया है कि जिन खिलाड़ियों में ऐसे गुण होते हैं वो खेल में बेहतर होते हैं.
समाज में बुरे माने जाने वाले गुण खेलों में होते हैं अच्छे
ब्रिटेन की नोटिंगहम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं खिलाड़ियों पर शोध किया है. जिसमें पाया गया है कि सामाजिक रूप से जिन गुणों को बुरा माना जाता है, वही गुण खेलों में अच्छे माने जाते हैं. दरअसल खेलों में खिलाड़ियों पर लगातार अच्छे प्रदर्शन का दवाब होता है. इस तरह का माहौल अक्सर ऐसे लोगों को अपनी ओर खींच सकता है जो खुद को दूसरों से बेहतर मानते हैं, जो जीतने के लिए बेरहम हो सकते हैं और जो अपनी सफलता के लिए दूसरों को भी परेशान करने से नहीं डरते.
खेल के दौरान ऐसे होने चाहिए लोगों से रिश्ते
इस रिसर्च में ये भी खुलासा हुआ है कि किसी भी खेल को जीतने के लिए खिलाड़ियों के अपने कोच से बेहतर रिश्ते होने चाहिए. दरअसल हर खेल में खइलाड़ियों और कोच को बहुत ज्यादा दबाव और तनावपूर्ण माहौल में प्रदर्शन करना होता है. साथ ही खिलाड़ियों के आपस में भी बहुत अच्छे रिश्ते होने चाहिए.
इस तरह के गुण खेलों में माने जाते हैं अच्छे
इस रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन खिलाड़ियों में आत्ममोह, साइकोपैथी, धोखेबाजी व चालबाजी जैसे गुण होते हैं वो उनके खेल में उनका अच्छा साथ देते हैं. हालांकि सामाजिक रूप से इन नकारात्मक गुणों को काफी खराब माना जाता है. हालांकि इस तरह के गुण वाले लोगों को अपने कोच से अच्छे रिश्ते बनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
इन खेलों के नामचीन खिलाड़ियों को किया शामिल
इस रिसर्च में रिसर्चर्स ने तैराकी, ट्रायएथलेटिक्स और साइक्लिंग के 300 से ज्यादा नामी खिलाड़ियों के व्यक्तित्व और अपने साथी खिलाड़ियों और कोच के साथ उनके रिश्तों का आंकलन किया. इस रिसर्च को पेरिस ओलंपिक से ठीक कुछ समय पहले प्रकाशित किया गया है, जिसमें रिसर्चर्स ने पहले से तय कुछ मानकों का भी ध्यान रखा है.
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