देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दौरे पर हैं. यहां उन्होंने भारतीयों को संबोधित करते हुए भारत और रूस की दोस्ती का जिक्र किया. इस दौरान पीएम मोदी ने राज कपूर की कल्ट फिल्म आवारा के गाने मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिश तानी के एक हिस्से 'सिर पे लाल टोपी रूसी' का भी जिक्र किया. लेकिन क्या आप इस रूसी लाल टोपी का इतिहास जानते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे इस लाल रूसी टोपी ने रूस से राजशाही का अंत किया.
लाल टोपी का इतिहास
रूस की लाल टोपी को वहां की भाषा में बाड्योनोवका कहते हैं. ये एक खास प्रकार की लाल टोपी होती थी. साल 1917 में जब रूसी क्रांति की शुरुआत हुई तो उस पर पूरी दुनिया की नजरें थीं. ये एक हिंसक क्रांति थी जो रूस की रोमानोव राजवंश और सदियों से चल रही शाही शासन के खिलाफ थी.
इस क्रांति ने ही बाद में रूस में वामपंथी क्रांतिकारी व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों की सत्ता स्थापित की जो बाद में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी बन गई. अब आते हैं लाल टोपी के सवाल पर. दरअसल, जिन क्रांतिकारियों ने रूस में राजशाही का अंत किया उनके सिर पर लाल टोपी होती थी. ये एक तरह से उनकी क्रांति का प्रतीक था.
भारतीय राजनीति में लाल टोपी
यूपी के विधानसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी गोरखपुर में एक रैली कर रहे थे. इस रैली के दौरान उन्होंने लाल टोपी वालों को खतरे की घंटी कह दिया था. दरअसल, ये समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर टिप्पणी थी, क्योंकि समाजवादी पार्टी के लोग लाल टोपी का इस्तेमाल करते हैं.
इस टिप्पणी के बाद देश में लाल टोपी को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई थी. आपको बता दें, भारतीय राजनीति में लाल टोपी तब से है जब लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने सत्ता के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था. इसके बाद ये टोपी राम मनोहर लोहिया के सिर पर सजी और फिर वहां से होते हुए आज अखिलेश यादव के सिर पर है.
इसे लेकर इंडिया टुडे से बात करते हुए समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह कहते हैं कि 1948 में जेपी जब रूस से लौटे तो उन्होंने लाल टोपी पहनना शुरू किया. ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया में जहां-जहां भी क्रांति हुई वहां-वहां लाल रंग का प्रयोग हुआ.
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