(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Hash Value: पुलिस फोन-लैपटॉप जब्त करे तो जरूर मांग लें ये जानकारी, नहीं तो पड़ सकता है महंगा
Hash Value: जब भी पुलिस किसी का मोबाइल या लैपटॉप जब्त करती है तो हैश वैल्यू का जिक्र होता है, जानिए कि ये क्यों जरूरी होता है और इससे आप कैसे मुसीबत से बच सकते हैं.
पुलिस के विवाद में कोई कभी नहीं पड़ना चाहता है, लेकिन अक्सर अनचाहे में इससे दो-चार होना पड़ सकता है. कई बार छापेमारी के बाद पुलिस आपके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स भी अपने साथ ले जाती है, यानी इन्हें जब्त कर लेती है. हाल ही में पत्रकारों के घरों पर छापेमारी के बाद भी इसी तरह की जानकारी सामने आई थी, जिसमें कुछ लोगों के फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए गए. इसी बीच एक शब्द का बार-बार जिक्र हो रहा है, जिसे हैश वैल्यू कहा जा रहा है. आज हम जानते हैं कि ये हैश वैल्यू क्या होती है.
हैश वैल्यू देना जरूरी या नहीं?
दरअसल पुलिस जब किसी का भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट सीज करती है तो उसे हैश वैल्यू देना होता है. कई बार आरोपी इस बात का आरोप लगाते हैं कि पुलिस ने फोन और लैपटॉप जब्त करने के बाद उन्हें हैश वैल्यू नहीं दी. ये जब्ती के समय ही दी जाती है, हालांकि इसे लेकर कोई कानून नहीं है. जांच अधिकारी पर ये निर्भर करता है. यानी अगर मांगने के बावजूद हैश वैल्यू नहीं दी जाती है तो कानूनी तौर पर ये गलत नहीं माना जाएगा.
क्या होती है हैश वैल्यू?
हैश वैल्यू को इसलिए जरूरी माना जाता है क्योंकि इसके बाद अगर आपके लैपटॉप या फोन के साथ कोई छेड़छाड़ होती है तो आपको इसका पता चल जाएगा. हर डिवाइस की हैश वैल्यू अलग होती है. जब भी डिवाइस में कोई डॉक्यूमेंट डाला जाता है, उसकी हैश वैल्यू बदल जाती है. अगर आपके डिवाइस की हैश वैल्यू निकाल ली गई है और बाद में ये बदल जाती है तो इसका मतलब आपके डिवाइस के साथ छेड़छाड़ हुई है, या फिर उसमें कुछ डाला गया है. हालांकि ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि पुलिस मोबाइल, कंप्यूटर, हार्ड डिस्क या मोबाइल जब्त करने के बाद हैश वैल्यू नहीं देती है.
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