कैसे बना सकते हैं राजनीतिक पार्टी, कम से कम कितने मेंबर्स की होती है जरूरत?
Political Party Form: चुनाव के समय मैदान में कई छोटी-बड़ी पार्टियां हिस्सा लेती है. सभी जनता से अपने हिसाब से अलग-अलग वादे भी करती है. क्या आपको पता है कि इन पार्टियों का निर्माण कैसे होता है?
Political Party Form: हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. वहां पर कई छोटी-बड़ी पार्टियों ने चुनाव लड़ा है. रिजल्ट आने से पहले जब चुनाव हो रहा होगा, तब मतदान के वक्त चारों ओर राजनीतिक पार्टियों (Political Party) के पोस्टर बैनर आदि देख कर आपके मन में यह सवाल तो आता होगा कि आखिर ये राजनीतिक पार्टियां बनती कैसे हैं? पार्टियों को चुनाव चिन्ह कैसे दिया जाता है? इसके क्या नियम हैं और क्या प्रोसेस है? आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किसी नई राजनीतिक पार्टी के बनने के लिए क्या नियम हैं, क्या प्रोसेस है और इनको चुनाव चिन्ह कैसे आवंटित होते हैं. पढ़िए पूरी खबर
भारत में कितनी तरह की होती हैं पार्टी?
आपको बता दें कि भारत में तीन तरह की राजनैतिक पार्टियां हैं. पहला- राष्ट्रीय पार्टी, दूसरी- राज्य स्तरीय पार्टी और तीसरी- गैर मान्यता प्राप्त (लेकिन चुनाव आयोग के पास पंजीकृत). बता दें कि वर्तमान में अपने देश में कुल 7 राष्ट्रीय, 58 राज्यस्तरीय तथा 1786 गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियाँ हैं. चुनाव में मिलने वाली वोट और सीटों की संख्या के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय या राज्य की पार्टी का दर्जा मिलता है. बता दें कि इन पार्टियों की संख्या में समय समय पर बदलाव होता रहता है.
कैसे होता है नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन?
भारत में राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए लोक प्रतिनधित्वय अधिनियम 1951 का प्रावधान है. उसके लिए सबसे पहले चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर इसकी प्रोसेस बताई गई है. चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले पार्टी बनाने वाले व्यक्ति को साधारण प्रोसेस की तरह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध एक फॉर्म भरना होता है और इसे भरकर निर्वाचन आयोग को 30 दिन के भीतर भेजना होता है.
- इसके लिए निर्वाचन आयोग को प्रोसेसिंग फीस के रुप में 10 हजार रुपये भी देने होते हैं, जो डीडी के माध्यम से जमा किए जाते हैं.
- पार्टी संस्थापक को पार्टी का एक संविधान तैयार करवाना होता है, जिसमें पार्टी के नाम और पार्टी क्यों और किस तरह से काम करेगी इसकी जानकारी देनी होती है.
- इस संविधान में ही पार्टी के कई नियमों का उल्लेख होगा, जिसमें अध्यक्ष आदि का चुनाव और अन्य नियम शामिल होंगे. इस संविधान से यह साफ होना चाहिए कि पार्टी भारत के संविधान और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धान्तों के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेगी.
- पार्टी बनने से पूर्व ही अध्यक्ष आदि की जानकारी देनी होगी और संविधान की कॉपी पर उनके साइन, मुहर लगे होना भी अनिवार्य है. अगर पार्टी के नाम कोई बैंक अकाउंट है तो उसकी जानकारी भी देनी होगी.
- पार्टी में न्यूनतम 100 सदस्य होने चाहिए और शर्त है कि वो किसी अन्य पार्टी न जुड़े हों. पदाधिकारी, कार्यकारी समिति, कार्यकारी परिषद आदि की जानकारी पहले ही देनी होगी. साथ ही पार्टी को एक हलफनामा भी देना होगा, जिसमें यह बताया जाएगा कि पार्टी का कोई भी सदस्य अन्य किसी दूसरी पार्टी से नहीं जुड़ा है.
कैसे मिलता है चुनाव चिन्ह
भारत का चुनाव आयोग ही राजनीतिक पार्टियों को चुनाव चिह्न भी आवंटित करता है. संविधान के आर्टिकल 324 (रेप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल ऐक्ट, 1951 व कंडक्ट ऑफ इलेक्शंस रूल्स, 1961) के माध्यम से चुनाव आयोग को शक्ति प्रदान है. जिनका इस्तेमाल करके चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 जारी किया. राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न इसी के तहत आवंटित किए जाते हैं.
चुनाव आयोग के पास बीते सालों में आवंटित हो चुके निशानों और ऐसे निशान जो किसी को भी आवंटित नहीं किए गए हैं की दो सूची होती हैं. चुनाव आयोग के पास हर समय कम से कम ऐसे 100 निशान होते हैं, जो अभी तक किसी को आवंटित नहीं हुए हैं. इन निशानों का चुनाव इस बात को ध्यान में रखकर किया जाता है कि मतदाताओं को वे आसानी से याद रहे और आसानी से वे उनको पहचान जाएं.
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