देश में 18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां जारी हैं. जहां एक तरफ चुनाव आयोग चुनावी प्रकिया को और बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां अपने चुनाव प्रचार के लिए चुनावी होर्डिंग और अलग-अलग शहरों के लिए पार्क और मैदान बुक कर रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों को जनसभा करने के लिए कैसे बुकिंग करना होता है. क्योंकि कई राजनीतिक पार्टियां एक ही जगह पर जनसभा करना चाहती हैं. आइए समझते हैं कि कैसे राजनीतिक पार्टियों को मिलती है जगह.


जनसभा


जानकारी के मुताबिक कोई भी राजनीतिक पार्टी देश में कहीं पर कभी भी जनसभा नहीं कर सकती है. इसके लिए राजनीतिक पार्टी को प्रशासन से अनुमति लेनी होती है. क्योंकि बिना अनुमति के कोई भी पार्टी या नेता जनसभा नहीं कर सकता है. लेकिन खासकर विधानसभा या लोकसभा चुनाव के दौरान अलग-अलग शहरों के प्रमुख स्थानों पर राजनीतिक पार्टी जनसभा करना चाहती है. जिसके लिए राजनीतिक पार्टी को संबंधित विभाग से लिखित अनुमति लेनी होती है. 


कितनी है सरकारी फीस


बता दें कि सभी राज्यों के अलग-अलग बड़े मैदानों को बुक करने की अपनी फीस तय है. जिसे राजनीतिक पार्टी बुकिंग के दौरान संबंधित विभाग को देना होता है. उदाहरण के लिए बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में राजनीतिक कार्यक्रम की बुकिंग के लिए पूरे मैदान की फीस 48 हजार रुपये है, वहीं आंशिक हिस्से के लिए 24 हजार रुपये रेट तय है. इसके अलावा गांधी मैदान में ही धार्मिक कार्यक्रमों के लिए पूरे मैदान की फीस 60 हजार और आंशिक हिस्से की फीस 36 हजार रुपये तय है. इसके अलावा सफाई के लिए 10 हजार रुपये अलग से देने होते हैं. 


राज्य सरकार तय करती है रेट


जानकारी के मुताबिक सभी राज्यों में बड़े मैदान और पार्को का रेट राज्य सरकार के द्वारा तय किया जाता है. हालांकि इसमें राजनीति पार्टी, व्यापारी सभा, धार्मिक सभा, निजी पार्टी के लिए रेट अलग-अलग तय होता है. वहीं बुकिंग के दौरान पार्टी को संबंधित प्रशासनिक कार्यालय में पेपर वर्क के साथ फीस जमा करनी होती है.  


    


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