Air Pollution: सभी जानते हैं कि जीने के लिए वायु यानी ऑक्सीजन जरूरी होती है. बिना हवा के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. लेकिन, यही हवा जहरीली होने पर बेहद घातक हो जाती है. बढ़ता वायु प्रदूषण एक बड़ा संकट है, जिसको लेकर अब एक नई स्टडी में इतनी डरावनी बात सामने आई है कि जिसे सुनकर शायद आप चिंतित हो जाएं. ये स्टडी कहती है कि आपके शहर में जितना ज्यादा वायु प्रदूषण (Air Pollution) बढ़ेगा, आपकी हड्डियां उतनी ही कमजोर होती चली जाएंगी. वायु प्रदूषण के बढ़ने से लोग ऑस्टियोपोरोसिस जैसी क्रोनिक बीमारियों के चपेट में भी ज्यादा आयेंगे. ज्यादा वायु प्रदूषण से हड्डियां इतनी नाजुक हो जाएंगी कि वो हल्के-फुल्के चोट से भी टूट सकती हैं.
9041 महिलाओं पर की स्टडी
उम्र बढ़ने के साथ ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी होने की आशंका भी बढ़ती चली जाती है. आमतौर पर ऐसी महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा रहता है, जिन्हे पहले मेनोपॉज हो चुका है. पिछले छह साल से 9041 ऐसी महिलाओं का डेटा जमा किया गया, जिन्हें पहले मेनोपॉज हो चुका था. स्टडी में पता चला कि जिन इलाकों में जहरीली गैसों और प्रदूषण का स्तर ज्यादा था, उन इलाकों की महिलाओं की हड्डियां ज्यादा कमजोर थी. खासतौर से गला, रीढ़ और कूल्हे की हड्डियां.
ज्यादा प्रदूषण वाले इलाके के लोगों की हड्डियां अधिक कमजोर
न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल साइंटिस्ट डिडियर प्राडा का कहना है कि किसी भी इंसान की हड्डियों की मजबूती सिर्फ उसके खान-पान पर ही नहीं, बल्कि उसके रहने के स्थान, वहां के मौसम और प्रदूषण जैसे बड़े फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है. जिन शहरों में वायु प्रदूषण अधिक होता है, वहां पर रहने वालों की हड्डियों के टूटने का खतरा भी ज्यादा रहता है. ऐसे इलाकों में रहने से हड्डियों की ताकत दिन-प्रतिदिन कम होती चली जाती है.
रीढ़ की हड्डियों की समस्याओं में हुआ है 10 फीसदी का इजाफा
प्राडा की स्टडी के अनुसार, नाइट्रोजन से जुड़े प्रदूषक तत्वों का बुरा असर सीधा आपकी रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है. पिछले 3 सालों में नाइट्रोजन संबंधी तत्वों से होने वाली रीढ़ की हड्डियों की समस्याओं में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. स्टडी के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण हड्डियों की कोशिकाएं जल्दी मरने लगती हैं. इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidetive Stress) भी बनता है, जिसकी वजह से हड्डियो में जहरीले तत्व घुलने शुरू हो जाते हैं. ऐसा पहली बार है जब डिडियर प्राडा की टीम को इस बात का सबूत मिला है कि नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (Nitrogen Oxides) की वजह से रीढ़ की हड्डियों समेत शरीर की अन्य हड्डियों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है.
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