आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि जब किसी खुंखार अपराधी से पुलिस कुछ पूछती है और उसे लगता है कि उसका जवाब सही नहीं है तो वो अपराधी का पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे आप लाई डिटेक्टर टेस्ट या फिर झूठ पकड़ने वाला टेस्ट कहते हैं वो कराया जाता है. कई बार अपराधी इस टेस्ट में झूठ बोलते हैं और पकड़े जाते हैं, जबकि कई बार कुछ शातिर अपराधी इसी टेस्ट में झूठ बोलकर निकल जाते हैं और मशीन उन्हें पकड़ नहीं पाती. वो ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि उन्हें इस मशीन को चकमा देना आता है. आज हम आपको उन्हीं तरीकों के बारे में बताएंगे कि कैसे शातिर अपराधी पॉलीग्राफ टेस्ट को झूठ बोलकर पास कर जाते हैं.
पहले जानिए ये मशीन काम कैसे करती है?
पॉलीग्राफ मशीन कई कंपोनेंट के जरिए काम करती है. यानी उन्हें किसी का झूठ पकड़ने के लिए शरीर की कई तरह की हरकतों पर ध्यान देना होता है. इन सभी हरकतों को कैप्चर करने के लिए इस मशीन में कई तरह के तंत्र लगाए गए हैं. जैसे न्यूमोग्राफ- ये घटक व्यक्ति के सांस लेने के पैटर्न को रिकॉर्ड करता है और श्वसन गतिविधि में बदलाव का पता लगाता है. दूसरा है कार्डियोवास्कुलर रिकॉर्डर यह घटक किसी व्यक्ति की दिल की गति और ब्लड प्रेशर को रिकॉर्ड करता है. तीसरा है गैल्वेनोमीटर, यह घटक त्वचा की इलेक्ट्रिकल चालकता को मापता है ताकि पसीने की ग्रंथि में बदलाव को नोटिस कर सके. वहीं चौथा है रिकॉर्डिंग डिवाइस, जो पॉलीग्राफ मशीन के अन्य घटकों के एकत्र किए गए डेटा को रिकॉर्ड करता है. इन चार मेन आधारों के माध्यम से पॉलीग्राफ मशीन काम करती है.
पॉलीग्राफ मशीन को कैसे चकमा दे सकते हैं?
पॉलीग्राफ मशीन को चकमा देने के दो सबसे आसान और बेहतर तरीके हैं. यानी अगर आप इन दो तरीकों को अपनाते हैं तो बड़ी आसानी से पॉलीग्राफ मशीन को धोखा दे सकते हैं. बड़े बड़े अपराधी, इंटेलिजेंस एजेंसी के जासूस इन्हीं तरीकों की मदद से पॉलीग्राफ मशीन को चकमा देते हैं. इनमें पहला है पूरी तरह से जेन हो जाना. यानी एक दम शांत हो जाना, जैसे आप मेडिटेशन की मुद्रा में होते हैं. शरीर और मन बिल्कुल शांत हो जाता है और कोई हरकत नहीं करता. यानी उन चीजों के जवाब ही न दें जो आपसे जुड़े न हों. फिर चाहे आपसे कुछ भी पूछा जाए. वहीं दूसरी ओर हर सवाल का बिल्कुल हड़बड़ाहट से जवाब दें, यानी आप सच बोलें तब भी हड़बड़ाहट रखें और झूठ बोलें तब भी. ऐसा करने पर मशीन आपके सच और झूठ में अंतर नहीं कर पाएगी.
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