भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अधिक समावेशी समाज बनाने पर जोर दिया और कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें सकारात्मक कार्रवाई (Affirmative Action) को और मजबूत करने की जरूरत है. चलिए आज आपको बताते हैं कि अफरमेटिव एक्शन और आरक्षण में कितना अंतर होता है


अफरमेटिव एक्शन और आरक्षण में अंतर


अफरमेटिव एक्शन और आरक्षण दोनों का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है. हालांकि, इनमें कुछ प्रमुख अंतर भी हैं. पहले अफरमेटिव एक्शन के बार में जानिए.


क्या होता है अफरमेटिव एक्शन


यह एक व्यापक अवधारणा है जो सरकारी और प्राइवेट संस्थाओं द्वारा लागू की जाती है. इसका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को रोजगार, शिक्षा, और अन्य क्षेत्रों में समान अवसर दिलाना है. इसमें विशेष नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम शामिल होते हैं. इनके माध्यम से वंचित वर्गों को मदद मिलती है. यह न केवल सरकारी, बल्कि निजी क्षेत्रों में भी लागू हो सकता है.


आरक्षण कितना अलग है इससे


आरक्षण अफरमेटिव एक्शन का ही एक हिस्सा है, लेकिन इसे खासतौर पर भारत के संदर्भ में लागू किया जाता है. आरक्षण का अर्थ है सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों, और अन्य अवसरों में कुछ प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सुरक्षित रखा जाता है. आरक्षण का उद्देश्य समाज के सबसे पिछड़े और वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाना होता है.


इन दोनों में मुख्य अंतर समझिए


अफरमेटिव एक्शन व्यापक है और इसमें कई प्रकार की नीतियां और कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं. जबकि आरक्षण एक विशिष्ट कोटा-आधारित प्रणाली है जो भारत में लागू की जाती है. अफरमेटिव एक्शन को अलग-अलग देशों और समाजों में अलग-अलग तरीकों से लागू किया जा सकता है, जबकि आरक्षण एक कानूनी अवधारणा है जो विशेष रूप से भारत के संविधान द्वारा निर्धारित की गई है.


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने और क्या कहा?


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और हम विश्व की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने भारत में कथित सामाजिक स्तरों के आधार पर कलह को बढ़ावा देने वाली प्रवृत्तियों को खारिज करने का आह्वान भी किया और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत अपनी प्रभावशाली स्थिति का उपयोग विश्व शांति और समृद्धि के विस्तार के लिए करना चाहता है. 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति मुर्मू ने इस सफलता का श्रेय किसानों और श्रमिकों की अधिक मेहनत और उद्यमियों की दूरगामी सोच के साथ ही देश के दूरदर्शी नेतृत्व को भी दिया.


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