अयोध्या में 500 सालों के लंबे इंतजार के बाद भगवान रामलला का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए 22 जनवरी 2024 के शुभ दिन को चुना गया है. वहीं 26 जनवरी से 22 फरवरी तक देश के सभी लोगों के लिए राम जन्मभूमि दर्शन की तिथि निश्चित की गई है. बता दें की राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की सारी तैयारी हो चुकी है. ऐसे में अब राम मंदिर के लिए 50 लोगों को पुजारी के रूप में चुना गया है. जिसमें गाजियाबाद के एक छात्र मोहित पांडे को मुख्य पुजारी के रूप में चुना गया है. आज हम बताएंगे कि भव्य राम मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए मोहित पांडे समेत बाकी पुजारियों का चयन किस प्रकार हुआ है.
कौन है मोहित पांडे ?
मोहित पांडे दूधेश्वर वेद विद्यापीठ में सात साल की पढ़ाई के बाद वेदिक शिक्षा प्राप्त की है. राम मंदिर के पुजारी के रूप में नियुक्ति होने से पहले उन्हें पहले छह महीने के प्रशिक्षण सत्र में भाग लेना होगा, उसके बाद उन्हें पुजारी के रूप में काम करने का अवसर मिलेगा. सामवेद में अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद मोहित पांडे ने वेंकटेश्वर वैदिक विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. आचार्य की डिग्री हासिल करने के बाद अब मोहित पांडे पीएचडी की तैयारी कर रहे हैं. पिछले सात सालों से मोहित दूधेश्वर वेद विद्यापीठ के धर्म और रीति-रिवाजों का अध्ययन कर रहे थे.
आवेदन के जरिए हुआ चयन
अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए पुजारियों का चयन किया गया है. इसके लिए लोगों से बाकायदा आवेदन माँगे गए थे, जिसमें 3000 लोग शामिल हुए थे. आवेदन के बाद पुजारियों के लिए कुछ मापदंड भी निर्धारित किए गए थे, जिसके बाद उन्हें कड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा.इस पूरी प्रक्रिया में 200 आवेदकों का साक्षात्कार हुआ, जिसमें से 50 अभ्यर्थियों को पुजारी पद के लिए चुना गया है.बता दें कि रामलला के मंदिर में पुजारी बनने के लिए आवश्यक शर्त रखी गई थी. जिसके मुताबिक उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त गुरुकुल से वेद, शास्त्र और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करना जरूरी है. उम्मीदवारों को रामानंदीय परंपरा में दीक्षित होना चाहिए. ऐसे में सभी पुजारियों के चयन के दौरान हुए साक्षात्कार में वेद, कर्मकांड और वैदिक मंत्रों के ज्ञान पर ध्यान दिया गया है.
6 महीने का प्रशिक्षण
पुजारी मोहित पांडे समेत सभी अन्य पुजारियों को लंबे प्रशिक्षण से गुजरना होगा, जिसकी अवधि 6 महीने की है. जानकारी के मुताबिक इस प्रशिक्षण के दौरान उन्हें वेद, कर्मकांड, वैदिक मंत्रों और रामायण के ज्ञान की गहन शिक्षा दी जाएगी. बता दें कि इस प्रशिक्षण के बाद ही पुजारी रामलला की पूजा-अर्चना का कार्य कर सकेंगे.