Prisoner Cannot Vote: जेल में बंद कैदी चुनाव लड़ सकता है लेकिन वोट नहीं डाल सकता? जानिए क्या कहता है नियम
लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जेल में बंद कैदी वोट नहीं डाल सकता है. हालांकि जेल में बंद कैदी चुनाव लड़ सकता है. जानिए क्या कहता है नियम..
आज लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है. इस चरण में 12 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश की सीटों पर मतदाताओं ने वोट डाला है. इससे पहले 19 अप्रैल को 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. लेकिन आज हम आपको ये बताएंगे कि क्या जेल में बंद कोई कैदी या कोई विचारधीन कैदी वोट डाल सकता है? आपने ये तो सुना होगा कि जेल में बंद कैदी चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि कैदी को वोट डालने का अधिकार है या नहीं.
जेल में बंद कैदी
जेल में बंद कैदी जब चुनाव लड़ सकता है, तो क्या वो वोट भी डाल सकता है? संविधान के नियमों के मुताबिक जेल में बंद कोई भी कैदी वोट नहीं डाल सकता है. पुलिस हिरासत में मौजूद व्यक्ति को वोट देने का अधिकार नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका को खारिज कर चुका है. जानकारी के मुताबिक वर्तमान कानूनी प्रावधान के मुताबिक जेल में सजा काट रहे आरोपी को वोट देने का अधिकार नहीं होता है. इसके साथ ही अगर कोई आरोपी विचाराधीन है या न्यायिक हिरासत या पुलिस कस्टडी में हैं. उसे भी वोट डालने का अधिकार नहीं होता है.
विचाराधीन कैदी भी नहीं दे सकते हैं वोट
बता दें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(5) के तहत जेल में बंद कैदी को वोट देने का अधिकार नहीं होता है. क्योंकि वोट देने का अधिकार एक कानूनी अधिकार होता है. कानून का उल्लंघन करने वाले इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. कानूनी प्रावधानों के मुताबिक वह आरोपी जिसे कोर्ट द्वारा किसी केस में ट्रायल के बाद दोषी ठहराया गया है. इसके अलावा आरोपी व्यक्ति भी जिसे कोर्ट द्वारा पुलिस कस्टडी या न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. वह भी चुनाव में वोट नहीं डाल सकता है.
जेल में बंद कैदी को चुनाव लड़ने का अधिकार
अब आप सोच रहे होंगे कि जेल में बंद कैदी को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है, लेकिन कैदी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. जी हां नियमों के मुताबिक जेल में बंद कोई भी कैदी चुनाव लड़ सकता है. दरअसल माना जाता है कि कई बार राजनैतिक लड़ाई में भी लोग विपक्षी नेताओं को जेल के अंदर भेजवा देते हैं. ऐसे में जेल में होने की वजह से ही एक नेता चुनाव लड़ने से डिसक्वालिफाई हो जाएगा. जानकारी के मुताबिक 2013 में आरपीए एक्ट के सेक्शन 62(5) में संशोधन हुआ था. इसमें जेल में रहते हुए इलेक्शन में दावेदारी की छूट मिली थी. जिसके बाद जेल में बंद कैदी भी चुनाव लड़ सकता है.
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