कश्मीर में आर्टिकल 370 की वापसी को लेकर प्रस्ताव, जानें कानूनी तौर पर ये कितना मुमकिन
विधानसभा में पीडीपी विधायक वहीद पारा ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा बहाल होने के साथ ही आर्टिकल 370 को भी बहाल किया जाना चाहिए.
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद अब फिर से अनुच्छेद 370 की वापसी की मांग उठने लगी है. विधानसभा के पहले सत्र में पीडीपी विधायक वहीद पारा ने 370 की वापसी को लेकर प्रस्ताव भी रखा. इस प्रस्ताव को लेकर बीजेपी और पीडीपी विधायकों के बीच काफी बहस भी हुई.
दरअसल, विधानसभा में पीडीपी विधायक वहीद पारा ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा बहाल होने के साथ ही आर्टिकल 370 को भी बहाल किया जाना चाहिए. हालांकि, वहीद पारा के इस प्रस्ताव के खिलाफ बीजेपी के 28 विधायकों ने अपना विरोध दर्ज कराया और विधानसभा में जम कर हंगामा किया. आपको बता दें, वहीद पारा जम्मू कश्मीर की पुलवामा सीट से विधायक हैं.
क्या ऐसा हो पाना मुमकिन है
पीडीपी के विधायक ने ये प्रस्ताव जम्मू कश्मीर के विधानसभा में रखा है. इस प्रस्ताव का कानून बनना लगभग नामुमकिन है. दरअसल, कानूनी दृष्टिकोण से देखा जाए तो अगर किसी सरकार को आर्टिकल 370 की वापसी करनी है, तो इसे राष्ट्रपति के आदेश द्वारा और संसद के संकल्प के जरिए ही लागू किया जा सकता है.
हालांकि, इसमें जम्मू और कश्मीर विधानसभा की सहमति भी जरूरी है, जो अब केंद्र शासित प्रदेश होने के बाद एक बड़ी कानूनी और राजनीतिक चुनौती बन सकती है. इसके अलावा अगर भविष्य में कोई सरकार इस कदम को उठाने की कोशिश करती है, तो उसे कई संवैधानिक और कानूनी अड़चनों का भी सामना करना होगा.
विधानसभा के प्रस्तावों में कितना दम होता है
विधानसभा में पेश किए गए प्रस्ताव आमतौर पर गैर-बाध्यकारी होते हैं और किसी मुद्दे पर चर्चा या सरकार से कुछ कार्रवाई की सिफारिश करते हैं. उदाहरण के तौर पर आप इसे ऐसे समझिए कि अगर कोई विधायक किसी विशेष नीति या कानून के खिलाफ विरोध दर्ज कराता है, तो वह विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश कर सकता है. जैसा की पीडीपी विधायक वहीद पारा ने किया. लेकिन यह सरकार पर कोई कानूनी दबाव नहीं डालता.
5 अगस्त 2019 का फैसला
5 अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश पर अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्क्रिय कर दिया था. इसके बाद, भारतीय संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया, जिसमें जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया.
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