आखिर पीवी नरसिंह राव की कैसे पलटी थी किस्मत, राजनीति से संन्यास लेने से पीएम की कुर्सी तक का सफर
केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम बनने से पहले नरसिंह राव राजनीति से संन्यास लेने वाले थे.
केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम नरसिंह राव को सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया है. देश में पीएम नरसिंह राव का कार्यकाल इसलिए भी याद किया जाता है, क्योंकि उन्होंने 90 के दशक के मध्य में देश में आर्थिक उदारीकरण की नीतियां लागू की थी. लेकिन आज हम आपको पीएम नरसिंह राव का वो किस्सा सुनाने वाले हैं, जब उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का सोचा था, लेकिन उनकी किस्मत उन्हें पीएम की कुर्सी तक पहुंचा दी थी.
राजनीति से संन्यास लेने का फैसला
1990 में पीवी नरसिंह राव ने अपना राजनीतिक करियर खत्म मानकर संन्यास लेने का फैसला कर चुके थे. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी किताबें, पसंदीदा कंप्यूटर और दूसरी चीजें हैदराबाद में अपने बेटे के घर भिजवा दी थी. उन्होंने यह भी प्लान कर लिया था कि राजनीति छोड़ने के बाद आगे क्या करना है. जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु की एक मॉनेस्ट्री को खत लिखकर नरसिंह राव ने कहा था कि वह मॉनेस्ट्री ज्वाइन करना चाहते हैं.
कैसे पलटी किस्मत
अब सवाल ये होता है कि आखिर कैसे पीवी नरसिंह राव की किस्मत पलट गई थी. कहा जाता है कि 1990 में सियासी गलियारों में एक चर्चा जोर-शोर से चल रही थी. जिसमें कहा जाता है कि राजीव गांधी ने मन बनाया था कि लोकसभा चुनाव में जीत के बाद कैबिनेट में युवा चेहरों को मौका देंगे.
राजनीति में एक नया मोड़
बता दें कि विनय सीतापति अपनी किताब ‘द मैन हू रीमेड इंडिया: ए बायोग्राफी ऑफ़ पीवी नरसिंह राव’ में लिखते हैं कि पीवी जी 69 साल की उम्र में किसी के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं थे. सियासी गलियारों की चर्चा सुनकर उन्होंने खुद राजनीति से संन्यास लेने का मन बना लिया था. लेकिन 21 मई 1991 को तमिलनाडु में राजीव गांधी की हत्या के बाद सब कुछ बदल गया था. इतना ही नहीं इस दुर्घटना ने पीवी नरसिंह राव की राजनीति को एक नए मोड़ पर खड़ा कर दिया था. जानकारी के मुताबिक नरसिंह राव को जब राजीव गांधी की हत्या की खबर मिली तो वह 10 जनपथ पहुंचे थे. वहां पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी पहले से मौजूद थे. सीतापति लिखते हैं कि प्रणब जी ने राव साहब को एक कोने में लेकर गए थे. उन्होंने उनसे कहा कि पार्टी में आम सहमति है और सब चाहते हैं कि आप अगले अध्यक्ष बनें. इस दौरान राव साहब खबर सुनकर बहुत खुश हुए, हालांकि उस दुख के मौके पर अपनी खुशी जाहिर नहीं होने दी.
कैसे बने कांग्रेस के अध्यक्ष और फिर पीएम
वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के सलाहकार संजय बारू इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में लिखते हैं कि नरसिंह राव तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण की पसंद थे. इसके अलावा उन्हें केरल के कद्दावर नेता के. करुणाकरण और कई सांसदों का साथ भी मिला था. ये भी एक बड़ा कारण था कि पहले वह 29 मई 1991 को कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए थे. जिसके बाद अगले ही महीने लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 232 सीटों के साथ वापसी की थी. जिसके बाद सबसे अनुभवी नेता होने के नाते नरसिंह राव देश के प्रधानमंत्री बने थे.
देश में निवेश बढ़े
नरसिंह राव जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में निवेश बढ़ा था. इसके अलावा उन्होंने जिस तरह आर्थिक उदारीकरण की नीतियां लाकर देश को तेज तरक्की की राह ला दिया, वो किसी से छिपा नहीं है. उन्हीं के कारण भारत में बड़े पैमाने पर निवेश होना शुरू हुआ था. इसके अलावा बड़े ब्रांड और बड़ी कंपनियां जब भारत में आई तो नौकरियों के बेतहाशा अवसर मिलने लगे थे.
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