कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अब देश की 18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में होंगे. संसद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका किसी भी सामान्य सांसद से कहीं ज्यादा होती है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद क्या शक्तियां मिली हैं और वो किस तरह से अब पीएम मोदी को कई मुद्दों पर अपनी राय दे सकेंगे.


नेता प्रतिपक्ष की शक्तियां


साल 1977 में संसदीय कानूनों के तहत नेता प्रतिपक्ष के पद को मान्यता मिली थी. इस पद पर रहने वाले सांसद का वेतन और उसे मिलने वाले भत्ते की बात करें तो ये कैबिनेट मिनिस्टर के स्तर का होता है. इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष की भूमिका आपको उन समितियों में भी देखने को मिलती है जो सेन्ट्रल विजिलेंस डायरेक्टर, सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त, लोकायुक्त और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्यों की नियुक्ति करता है. इसके अलावा सरकार के खर्चों पर नजर रखने के लिए जो लोक लेखा समिति होती है नेता प्रतिपक्ष इस सिमिति का अध्यक्ष होता है.


क्या मिलेंगी सुविधाएं


नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक केंद्रीय मंत्री जितनी सुविधाएं और वेतन मिलेगा. आपको बता दें, नेता प्रतिपक्ष को वेतन और भत्ते मिलाकर लगभग 3.30 लाख रुपये मिलते हैं. इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष को केंद्रीय मंत्री के स्तर का आवास और उसी स्तर की गाड़ी उपलब्ध कराई जाती है. इसके आलाव नेता प्रतिपक्ष को 14 लोगों का स्टाफ और कैबिनेट मंत्री के तर्ज पर सुरक्षा भी मिलती है.


कौन बन सकता है नेता प्रतिपक्ष


नेता प्रतिपक्ष उसी विपक्षी दल का सांसद बन सकता है जिसके पास लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 10 फीसदी पर जीत मिली हो. यानी नेता प्रतिपक्ष उसी दल का होगा जिसके कम से कम 55 सांसद सदन में होंगे. आपको बता दें इस बार कांग्रेस के पास 99 सांसद हैं. हालांकि, साल 2019 में कांग्रेस के पास सिर्फ 52 सांसद थे और 2014 में सिर्फ 44. यही वजह थी कि इन 16वीं और 17वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली थी.