Rain harvesting:देश के कई हिस्से पर मानसून की शुरुआत हो चुकी है. झमाझम बारिश का लोग आनंद भी उठा रहे हैं. बारिश के शुरू होते ही किसान खेतों की ओर जाने लगे है, यानी की खेती की शुरुआत हो चुकी है. बारिश के शुरू होते ही चिलचिलाती गर्मी से लोगों को राहत भी मिली है. गर्मी और बरसात के समय आते ही रेन हार्वेस्टिंग का नाम सुनने को मिलता है. ऐसे में हम आज आपको बताएंगे क्या होता है रेन हार्वेस्टिंग.....


क्या है रेन हार्वेस्टिंग   
रेन हार्वेस्टिंग  बारिश के पानी के जमा करने का एक तरीका होता है. ये पानी किसी भी सतह पर गिरने वाला हो सकता है. इस पानी को फिल्टर कर के इस्तेमाल भी किया जा सकता है. बारिश के जल को संचय करके जल संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं. बारिश के पानी को कुआं और अन्य माध्यमों के जरिये भूमि में भेज सकते हैं.  इसके साथ ही बारिश के पानी को तालाब और पोखर में भी संचय कर सकते हैं. इसके साथ छत पर से आने वाले पानी को जमीन में भेज सकते हैं या फिर उस पानी को स्टोर कर के उसका उपयोग कर सकते हैं. तालाब और पोखर में बारिश के पानी को रखकर बाद में खेत की सिंचाई के लिए भी उपयोग कर सकते हैं.  


पानी का है महत्व 
पानी का  हर एक बूंद अनमोल है और उसको सहेज कर रखा जाना बेहद ही जरूरी है. अगर हम भूगर्भ के जल को नहीं बचाएंगे तो एक दिन पानी के लिए सबको तरसना पड़ जाएगा. हाल में ही दिल्ली  और बेंगलुरु में जल की समस्याओं से लोगों को जूझते हुए देखा गया. बारिश से लेकर हर जगह जल संरक्षण के लिए काम करना जरूरी है. 


ऐसे करें तैयार 
जमीन पर तीन से पांच फुट चौड़ा और दस फुट गहरा एक गड्ढा खोद लें. छत से आने वाले पानी को पाइप के सहारे गड्ढे में ले जाएं. गड्ढे में कंक्रीट और रेत डालें. ऐसे में पानी छनकर जमीन के अंदर जा सकेगी और भूजल स्तर रिचार्ज हो पाएगा. पहाड़ों से आने वाले पानी को रोकने के लिए चेक डैम बनाया जाता है इसके सहारे पानी को रोकने का प्रयास किया जाता है.


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