अक्सर एक शहर में बारिश होती है तो एक इलाके में होती है और दूसरी जगह नहीं. मानसून के समय में भी ऐसी स्थिति देखने को मिलती है, जहां शहर के एक इलाके में बारिश हो रही होती है तो वहीं दूसरे इलाके में नहीं होती. जैसे दिल्ली के चांदनी चौक में तो बारिश हो रही होती है और लक्ष्मी नगर में सूखा पड़ा होता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ये होता क्यों है? चलिए जान लेते हैं.


क्या ये है मौसम की गड़बड़ी?


बता दें कि किसी क्षेत्र में होने वाली वर्षा की मात्रा को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें जल निकायों से क्षेत्र की निकटता, ऊंचाई, हवा के पैटर्न, तापमान और वायुमंडलीय दबाव शामिल हैं. महासागरों या फिर कहें कि बड़े शहरों में जैसे पानी के बड़े निकाय बहुत सारा पानी वाष्पित कर सकते हैं, जो फिर बादल बनाता है और आस-पास की जमीन पर गिरता है. ऐसे में किसी जगह पानी ज्यादा वाष्पित होता है तो उस जगह बारिश हो जाती है, वहीं शहर के ही दूसरे क्षेत्रों में बादल वाष्पित नहीं होते तो वहां बारिश नहीं होती. एक ही शहर में दो अलग-अलग जगहों पर ऐसी स्थिति होना आम है.


क्यों होती है बारिश?


बारिश तब होती है जब हवा ऊपरी वायुमंडल में ऊपर की ओर उठती है और ठंडी हो जाती है. इसी ठंडे तापमान के कारण जल वाष्प पानी की बूंदों में संघनित हो जाती है, जो हवा के संतृप्त होने पर बादलों से बारिश के रूप में गिरने लगता है. वायु दाब इस प्रक्रिया में खास योगदान देता है.


कैसे बनती हैं बारिश की बूंदें?


अब सवाल ये भी उठता है कि आसमान में बारिश की बूंदें बनती कैसे हैं? तो बता दें कि गर्मी के परिणामस्वरूप पानी वाष्पित हो जाता है या फिर कहें कि जल वाष्प में बदल जाता है. ठंडा होने पर जल वाष्प वापस पानी की बूंदों में संघनित हो जाता है. संघनन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके कारण धूल और अन्य कणों के चारों ओर बूंदें बनती हैं. फिर यही बूंदें धरती पर बारिश के रूप में गिरती हैं.                            


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