75 हजार से ज्यादा केस सुलझा चुकी हैं... भारत की पहली महिला जासूस के बारे में जानते हैं आप?
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आप में से कई लोगों ने जासूस वाली कई फिल्में देखी होंगी. हालांकि, हर फिल्म में जो मेन जासूस का किरदार होता है वह कोई आदमी होता है. यानी मेल कैरेक्टर होता है. रियल जिंदगी में भी आपने जिन बड़े-बड़े डिटेक्टिव या जासूसों के नाम सुने होंगे, उनमें सभी आदमी ही होंगे. चाहे जेम्स बांड हों या फिर व्योमकेश बख्शी या फिर शेरलॉक होम्स... सभी मर्द हैं. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है की औरतें जासूस नहीं होतीं. भारत में एक ऐसी महिला जासूस हुई हैं जिन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अवार्ड मिला है. यहां तक कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में अब तक 75000 से ज्यादा केस सुलझाए हैं. इन्हें भारत की पहली महिला जासूस भी कहा जाता है. आज इस आर्टिकल में हम आपको उन्हीं के बारे में बताएंगे.
कौन हैं ये महिला जासूस
इस महिला जासूस का नाम है रजनी पंडित. रजनी पंडित की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. उन्हें डिटेक्टिव प्रोफेशन में 35 साल से ज्यादा का समय हो चुका है और इस दौरान उन्होंने 75 हजार से ज्यादा केस सुलझाएं हैं. रजनी पंडित के पिता सीआईडी अधिकारी थे. रजनी मुंबई की रहने वाली हैं और मराठी साहित्य में उन्होंने पढ़ाई की है.
कॉलेज लाइफ कुछ खास नहीं थी
एक सीआईडी अधिकारी की बेटी होने के बावजूद रजनी पंडित कभी भी एक जासूस नहीं बनना चाहती थीं. उनकी कॉलेज लाइफ भी बहुत ज्यादा बेहतर नहीं थी. कॉलेज के दौरान उनकी दोस्ती गलत लड़कों के साथ हो गई थी, जिसकी वजह से उन्होंने उस दौरान शराब और सिगरेट पीना भी शुरू कर दिया था. हालांकि, उनका दिमाग शुरू से ही तेज था. और इसी की वजह से बाद में उन्हें भारत की पहली महिला डिटेक्टिव बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
फर्स्ट लेडी डिटेक्टिव अवार्ड से सम्मानित
रजनी पंडित को देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फर्स्ट लेडी डिटेक्टिव अवार्ड से सम्मानित किया था. यह सम्मान उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से दिया गया था. हालांकि, उन्होंने अपना पहला अवार्ड 1990 में प्राप्त किया था, इसके बाद उन्हें कई बार इस तरह के अवार्ड मिल चुके थे. साल 1991 में रजनी पंडित ने डिटेक्टिव सर्विसेज नाम से अपनी प्राइवेट एजेंसी शुरू की जो कुछ दिनों तक बेहतर चली. हालांकि बाद में उन्होंने जब दूरदर्शन को एक इंटरव्यू दिया तो उसके बाद उनका काम बहुत ज्यादा तेजी से चल पड़ा और उन्होंने अपनी एजेंसी को बुलंदियों तक पहुंचाया.
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