1947 में जब देश को आजादी मिली तो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में 14 मंत्रियों को शामिल किया गया था. इनमें कई दिग्गज शामिल थे, जिनमें सरदार वल्लभभाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद, अबुल कलाम आजाद जैसे शामिल हैं. हालांकि, जब 1952 में लोकसभा चुनाव हुए तो कैबिनेट मंत्रियों की संख्या बढ़ाकर 21 कर दी गई. इस कैबिनेट में कुछ डिप्टी मिनिस्टर्स भी शामिल थे. खास बात यह है कि देश की पहली कैबिनेट में प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने अपने राजनैतिक धुर विरोधियों को भी जगह दी थी.
आप सोच रहे होंगे कि हम देश की पहली कैबिनेट की बात क्यों कर रहे हैं. दरअसल, देश की पहली कैबिनेट में एक मात्र महिला मंत्री को भी शामिल किया गया था. वो कौन थीं? उन्हें कौन सा मंत्रालय मिला था? आइए जानते हैं...
एक मात्र महिला मंत्री
देश की राजनीति और संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर काफी बात होती है. सरकार ने इसके लिए महिला आरक्षण बिल भी पास किया गया है. हालांकि, देश की पहली ही कैबिनेट में महिला मंत्री को शामिल किया गया था. प्रधानमंत्री नेहरू ने 1952 के लोकसभा चुनाव के बाद हिमाचल के मंडी से सांसद राजकुमारी अमृत कौर को शामिल किया था. उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी.
पहली कैबिनेट में नेहरू के विरोधी भी
देश की पहली कैबिनेट में पंडित नेहरू ने अपने राजनीतिक विरोधियों को भी जगह दी थी. इसमें डॉक्टर बीआर अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नाम प्रमुख हैं. इसके अलावा नॉन लीडर एक्सपर्ट्स को कैबिनेट में शामिल करने की कवायद भी पहली कैबिनेट से ही चली आ रही है. पंडित नेहरू ने अपनी पहली कैबिनेट में भाभा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के डायरेक्टर सीएच भाभा को भी शामिल किया था. वह पारसी बिजनेसमैन थे, जिन्हें कॉमर्स मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
ये नाम भी थे शामिल
देश की पहली कैबिनेट में पंडित नेहरू के अलावा, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, जॉन मथाई, सरदार बलदेव सिंह, जगजीवन राम, डॉ. एचसी भाभा, रफी अहमद किदवई, राजकुमारी अमृत कौर, भीमराव अंबेडकर, आरके षणमुखम चेट्टी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, एनवी गाडगिल.
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