राज्यसभा की सीटें कैसे खाली होती हैं, क्या इसका कार्यकाल 6 साल से पहले भी खत्म हो सकता है?
लोकसभा की तरह राज्यसभा कभी भी पूरी तरह से भंग नहीं होती. बल्कि इसके एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल हर दो साल में पूरा हो जाता है. यानी राज्यसभा के लिए हर दो साल में चुनाव होते हैं.
भारत देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए जिस केंद्र सरकार की जरूरत होती है, उसमें दो सदनों के लोग होते हैं. पहले लोकसभा के और दूसरे राज्यसभा के. यानी अगर किसी को केंद्र सरकार में मंत्री या प्रधानमंत्री बनना है तो उसका राज्यसभा या फिर लोकसभा का मेंबर होना आनिवार्य है. चलिए आज आपको बताते हैं कि राज्यसभा में सीटें कैसे खाली होती हैं और उनका कार्यकाल कितने समय का होता है.
कब खाली होती है राज्यसभा की सीटें
लोकसभा की तरह राज्यसभा कभी भी पूरी तरह से भंग नहीं होती. बल्कि इसके एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल हर दो साल में पूरा हो जाता है. यानी राज्यसभा के लिए हर दो साल में चुनाव होते हैं और उसके एक तिहाई सदस्य बदल जाते हैं या फिर रिपीट हो जाते हैं. साफ शब्दों में कहें तो राज्यसभा हमेशा बनी रहती है वो कभी भी भंग नहीं होती.
कितने समय का होता है इसका कार्यकाल
सामान्य तौर पर राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 6 साल का होता है. लेकिन कई बार कुछ मामलों में इन्हें निलंबन का भी सामना करना पड़ता है. साल 2023 में दो दिनों के भीतर 141 लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को निलंबित किया गया था. राज्यसभा सांसदों को राज्यसभा के नियम 255 के तहत निलंबित किया गया था. ये नियम कहता है कि अगर सभापति को लगता है कि राज्यसभा के किसी सदस्य का व्यवहार घोर अव्यवस्थापूर्ण है तो वो उसे राज्यसभा से चले जाने का निर्देश दे सकता है. हालांकि, इस नियम के तहत निलंबन केवल उसी दिन के लिए लागू रहेगा. यानी उस दिन सदस्य को सदन से बाहर रहना होगा.
सबसे बड़ा निलंबन
आपको बता दें सांसदों का सबसे बड़ा निलंबन साल 1989 में हुआ था. दरअसल, सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने का विरोध कर रहे थे और उस पर हंगामा कर रहे थे. इसी वजह से अध्यक्ष ने एक दिन में 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था. 63 सांसदों के निलंबन के बाद अन्य 04 सांसद भी सदन से बाहर चले गए थे.
ये भी पढ़ें: राज्यसभा में कुल कितनी सीटें होती हैं, राज्यों के हिसाब से कैसे तय होती है इनकी संख्या?