देश के 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है और चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. अगर बड़े नामों की बात करें तो कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से सोनिया गांधी, हिमाचल से अभिषेक मनु सिंघवी को टिकट दिया है. वहीं, बीजेपी ने उत्तर प्रदेश से आर पीएन सिंह, डॉ सुधांशु त्रिवेदी, चौधरी तेजवीर सिंह आदि को चुनाव में उतारा है. वहीं, बीजेपी ने उत्तराखंड से महेंद्र भट्ट और ओडिशा से केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को उम्मीदवार बनाया है.
राज्यसभा चुनाव की चर्चा के बीच अब सवाल है कि आखिर राज्यसभा सांसद का क्या काम होता है और क्या इनका भी कोई क्षेत्र होता है और इन्हें मिलने वाले एमपी फंड का ये सांसद किस तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. तो जानते हैं राज्यसभा सांसदों के काम से जुड़ी कुछ खास बातें...
कौन होते हैं राज्यसभा सांसद?
ये संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य होते हैं और राज्यों की विधानसभा के सदस्य उन्हें चुनते हैं. ये सांसद प्रदेश का प्रतिनिधित्व संसद में करते हैं और इन्हें जनता की ओर से सीधे नहीं चुना जाता है. इनके चयन की प्रक्रिया से लेकर काम करने का तरीका लोकसभा से काफी अलग होता है.
क्या राज्यसभा सांसद का कोई क्षेत्र होता है?
राज्यसभा सांसद का कोई क्षेत्र नहीं होता है और ये किसी क्षेत्र के स्थान पर राज्य के प्रतिनिधि होते हैं. इस बारे में पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर ने एबीपी को बताया, 'कोई भी राज्यसभा सांसद किसी स्टेट का प्रतिनिधित्व करता है, जो इसके नाम राज्यसभा से भी समझा जा सकता है. जैसे किसी लोकसभा सांसद का एक क्षेत्र होता है, जिसमें वो विकास कार्य करवाता है, वैसे राज्यसभा सासंद के साथ नहीं है. वे जिस राज्य से चुने गए हैं, वे उस राज्य में कहीं भी काम करवा सकते हैं.'
फंड को लेकर क्या है नियम?
अली अनवर ने बताया कि राज्यसभा सांसद और लोकसभा सासंद के फंड एक जैसे ही होते हैं. इसके अलावा राज्यसभा सांसदों को लोकसभा एमपी की तरह ही भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं और दोनों के फंड भी बराबर होते हैं और राज्यसभा सांसद पूरे स्टेट में इसका यूज कर सकते हैं.
इन कामों में नहीं होती है भूमिका
आपको बता दें कि राज्यसभा सासंदों की सिर्फ वित्त विधेयक में कोई भूमिका नहीं होती है और इन विधेयकों में राज्यसभा कोई चर्चा नहीं करती है.
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