कश्मीर में लोग ऐसे मनाते हैं राखी का त्यौहार, आपके यहां शायद ही ऐसा करते होंगे लोग!
Rakshabandhan 2023: रक्षाबंधन को लेकर हर वर्ग में अलग-अलग परंपराएं हैं. कई शहर और राज्य के हिसाब से भी इसे अलग तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है. तो जानते हैं कश्मीर में रक्षाबंधन कैसे सेलिब्रेट किया जाता है...
रक्षाबंधन को लेकर हर घर में फेस्टिव माहौल है और इसके लिए लोग अपनी तैयारियां कर रहे हैं. भारत में हर लोग इस फेस्टिवल को अलग अलग तरीके से सेलिब्रेट करते हैं. हर राज्य में भी इससे जुड़ी परंपराएं अलग अलग हैं. ऐसे ही राखी का त्यौहार कश्मीर में अलग तरह से सेलिब्रेट किया जाता है. यहां भी रक्षाबंधन को काफी धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है. अगर आप कभी रक्षाबंधन पर जम्मू-कश्मीर में नहीं रहे हैं तो आपको बताते हैं कि आखिर कश्मीर में किस तरह से इस फेस्टिवल को सेलिब्रेट किया जाता है. इसके बाद आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर वहां की परंपराएं आपके यहां से कितनी अलग है?
जम्मू में क्या होता है?
दरअसल, जम्मू में रक्षाबंधन का ज्यादा इंतजार राखी की वजह से नहीं, बल्कि पतंगबाजी की वजह से होता है. दरअसल, जम्मू में रक्षाबंधन और कृष्णजन्माष्टमी को पंतग उड़ाई जाती है. इस दौरान पतंगबाजी में हर उम्र का व्यक्ति शामिल होता है. भारत के अधिकांश हिस्सों में पतंग को काइट या पतंग ही कहा जाता है, लेकिन यहां इसे गुड्डी कहा जाता है और जिससे पंतग उड़ाई जाती है, उस धागे को डोर कहा जाता है. इसके अलावा पतंग के फेस्टिवल को कई लोग गट्टू डोर भी कहते हैं.
यहां भी पंतगों के अलग-अलग नाम हैं, जिसमें डंडा, परी, चांद-चारा, छप्पन छुरी, तिरंगा, बुड्डा आदि शामिल है. यहां भी पतंगबाजी का काफी उत्साह रहता है और लोग लंबे वक्त से इसका इंतजार करते हैं. एक बार राखी पर पंतगबाजी होने के बाद 8 दिन बाद जन्माष्टमी पर भी काफी पतंगबाजी होती है. इसके साथ ही इन 8 दिनों में लोग पतंग उड़ाते ही रहते हैं. ऐसे में जम्मू की राखी पतंग की वजह से जानी जाती है.
इसके अलावा कश्मीर के क्षेत्र में हिंदू लोग राखी बांधकर इस फेस्टिवल को मनाते हैं. साथ ही राखी के दिन कई फोटो और वीडियो भी आते हैं, जिसमें देखने को मिलता है कि कई लड़कियां कश्मीर में तैनात सेना और सुरक्षा बलों के जवानों को राखी बांधती है. राखी के दिन ये विजुअल काफी आम होते हैं और कई महिलाएं फौजियों को राखी बांधती हैं.
और कहां उड़ती है पतंग?
जम्मू के अलावा राजस्थान के करौली में भी ऐसा होता है. करौली में करीब 250 साल पहले महाराजा गोपाल सिंह के समय से ही करौली में रक्षाबंधन और जन्माष्टमी पर पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है. इस वजह से अलवर में भी कई लोग राखी पर पतंग उड़ाते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी पतंगबाजी के जरिए रक्षाबंधन का पर्व सेलिब्रेट किया जाता है, जिसमें रामपुर, हापुड़ कई जगहें शामिल हैं.
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