कैसे रक्षाबंधन मनाता था अकबर? पूरे दिन करता था ये काम और दरबार में की थी ये शुरुआत
Rakshabandhan 2023: मुगल काल में भी रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता था और कहा जाता है कि उस दौरान अकबर भी इस फेस्टिवल को सेलिब्रेट करते थे.

भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. हर राज्य और वर्ग में अलग-अलग तरीके से इस पर्व को मनाया जाता है और हर जगह इसे लेकर अलग परंपराएं हैं. हालांकि, लंबे वक्त से रक्षाबंधन मनाया जा रहा है. यहां तक कि मुगल भी रक्षाबंधन का पर्व मनाते थे और उस वक्त भी इसका बड़े स्तर पर जश्न मनाया जाता था. वैसे रक्षाबंधन पर अक्सर हुमायूं और कर्णावती की कहानी सुनाई जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं मुगल शासक अकबर भी हर्षोल्लास से रक्षाबंधन सेलिब्रेट करता था.
अकबर और राखी को लेकर कई कहानियां हैं, जो बताती है कि अकबर भी रक्षाबंधन मनाते थे और राखी बंधवाते थे. तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर हुमायूं की कहानी क्या है और अकबर किस तरह से राखी मनाता था. जानिए मुगलों से जुड़ी कई बातें...
मुगल भी मनाते थे रक्षाबंधन
मुगलकाल में रक्षाबंधन को अहम त्योहार में मनाया जाता था और आम आदमी से लेकर मुगल दरबार में इसे सेलिब्रेट किया जाता था. सिर्फ हुमायूं ही नहीं, बल्कि अकबर, जहांगीर, शाह आलम जैसे कई मुगल शासक इसे मनाते थे. लेकिन, कहा जाता है कि औरंगजेब के आने के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी. हुमायूं तो राखी का फर्ज पूरा करने के लिए युद्ध के मैदान में उतर गया था. दरअसल, कहा जाता है कि हुमायूं को रानी कर्णावती ने राखी भेजी थी और मदद मांगी थी. इसके बाद हुमायूं के चित्तौड़गढ़ पहुंचने से पहले ही रानी कर्णावती ने जौहर कर लिया था, लेकिन हुमायूं ने चित्तौड़गढ़ के दुश्मन बहादुर शाह को युद्ध में परास्त कर किले को आजादी दिलाई थी.
अकबर कैसे मनाता था राखी?
हुमायूं के बाद उनका बेटा अकबर भी राखी का पर्व मनाता था. दरअसल, वैसे भी अकबर के लिए कहा जाता है कि वो सभी धर्मों को इज्जत देता था और उसके दरबार में कई हिंदू थे. उन्होंने दरबार में ही रखी बंधवाना भी शुरू किया और राजदरबार भी राखी बंधवाई जाती थी. अकबर बाकी लोगों से खुद भी राखी बंधवाता था और कहा जाता है कि अकबर रक्षाबंधन के पूरे दिन राखी बंधवाता था और इतिहासकारों के हिसाब से राखी बंधवाने में अकबर को पूरा दिन लग जाता था. फिर जहांगीर ने भी इस परंपरा को जारी रखा और वो आम लोगों से भी राखी बंधवाते थे.
इसके अलावा मुगल शासक शाही आलम-2 भी राजमणि नाम की एक महिला से राखी बंधवाते थे और अपनी बहन मानते थे. ऐसे में कहा जाता है कि मुगल शासक भी रक्षाबंधन का पर्व अच्छे से मनाते थे और राखी को खास महत्व दिया जाता था.
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