साल 1947 में जब भारत से पाकिस्तान अलग हुआ तो लाखों लोग भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत आए. हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने अपनी जमीन और अपनी मिट्टी ना छोड़ने का फैसला किया. यानी कुछ हिंदू पाकिस्तान में ही रह गए और कुछ मुस्लिम भारत में ही रह गए. ऐसा ही एक परिवार था उमरकोट के हिंदू राजा राणा अर्जुन सिंह का. उन्होंने बंटवारे के बाद भी पाकिस्तान को अपने मुल्क के रूप में चुना. यहां तक कि 1946 में राणा अर्जुन सिंह ने अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के मंच से चुनाव भी लड़ा. हालांकि, हम जिस हिंदू राजा की बात कर रहे हैं वो राणा हमीर सिंह हैं. ये राजा राणा अर्जुन सिंह के पोते और राणा चंद्र सिंह के बेटे हैं. पाकिस्तान की सियासत में इनकी तूती बोलती है. चलिए इनके बारे में जानते हैं.
कौन हैं राणा हमीर सिंह
राणा हमीर सिंह अमरकोट के 26वें राणा हैं और पाकिस्तान के दिग्गज राजनेता हैं. यहां तक कि अगस्त 2018 से अगस्त 2023 तक वो सिंध की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. जाति से राजपूत, इस राजा से पाकिस्तान के बड़े-बड़े माफिया तो छोड़िए मंत्री भी कांपते हैं. ये एक ऐसे राजा हैं, जिनके एक आदेश पर उमरकोट के हिंदू एक हो जाते हैं.
इनके पिता ने बनाया था हिंदू पार्टी
राणा हमीर सिंह से ज्यादा पावरफुल उनके पिता राणा चंद्र सिंह थे. उनकी ताकत का अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिए कि उन्होंने पाकिस्तान में साल 1990 में हिंदू पार्टी बना दी थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पार्टी का झंडा भगवा रंग का था और उस पर त्रिशूल का निसान बना था. कहा जाता है कि जब राणा चंद्र सिंह जनसभा करते थे तो लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता था. उनके एक फोन से पाकिस्तान सरकार में बैठे लोगों के हाथ पांव फूल जाते थे. आज वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे राणा हमीर सिंह आज भी इस ताकत को बरकरार रखे हुए हैं.
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