देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया. उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. रतन टाटा का देश के प्रति बहुत योगदान रहा है. उनका सम्मान देश ही नहीं विदेशों में भी किया जाता रहा है. टाटा भारत के उद्योग जगत में अपनी अलग ही पहचान रखते थे. टाटा के निधन के बाद कई राज्यों में राजकीय शोक घोषित किया है. आइए जानते हैं इसका मतलब क्या होता है...


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियों और आम लोगों ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है. कुछ प्रदेशों में राजकीय शोक भी रखा गया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज राजकीय शोक घोषित किया है. जिसके चलते राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. साथ ही झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी प्रदेश में राजकीय शोक का एलान किया है.  


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पहले क्या थे नियम?


रिपोर्ट्स के अनुसार पहले राजकीय शोक की घोषणा केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति किया करते थे. लेकिन कुछ वक्त पूर्व नियमों में बदलाव हुआ और ये अधिकार राज्यों को दे दिए गए. जिसके बाद अब प्रदेश खुद तय करते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है.



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दरअसल, राजकीय शोक का मतलब है वह दिन जब सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है. किसी भी प्रकार का मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होता है. हालांकि राजकीय शोक के दौरान सार्वजनिक छुट्टी होना जरूरी नहीं है. ​यह किसी प्रमुख व्यक्ति का निधन या विशेष घटनाओं के सम्मान में घोषित किया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को उस दिन का महत्व समझाना और एकत्रित होकर श्रद्धांजलि देना होता है.


देश का अभिमान थे टाटा 


रतन टाटा के निधन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि एक अनमोल रत्न नहीं रहे. भारत के कोहिनूर नहीं रहे, वो हमसे बिछड़ गए. रतन टाटा हमारे बीच नहीं रहे ये हमारे दुखद है. वो महाराष्ट्र और भारत देश के अभिमान थे. मैं महाराष्ट्र सरकार और जनता की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं.


झारखंड को दिलाई पहचान 


झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रतन टाटा के निधन पर कहा कि झारखंड जैसे देश के पिछड़े राज्य को विश्व में पहचान दिलाने वाले टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन एवं पद्म विभूषण रतन टाटा के देहावसान पर एक दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की जाती है.


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