भारत में कई ऐसी जगह हैं, जिन्हें का संबंध महाभारत या रामायण से है. अक्सर देखा जाता है कि प्रचलित कहानियों के अनुसार, कई जगहों से भगवान राम, भगवान शिव, पांडव, कौरव, रावण आदि का कनेक्शन रहता है. जैसे रामपथ गमन के रूट में कई मंदिरों और जगहों को लेकर मान्यताएं हैं कि वहां भगवान राम और माता सीता ने वक्त गुजारा था. ऐसे ही भारत एक जगह जिसका कनेक्शन रावण से बताया जाता है और इस जगह को भगवान शिव-रावण के एक प्रसंग से जोड़ा जाता है. यहां तक तालाब भी है, जिसके लिए कहा जाता है कि ये तालाब रावण के मूत्र की वजह से बना था. 


ये कहानी भी आपको अजीबोगरीब लग रही होगी, लेकिन कहानियों और मान्यताओं की मानें तो ये बात सच है. ऐसे में सवाल है कि आखिर ये जगह भारत में कहां है और इसे रावण के पेशाब से क्यों जोड़ा जाता है यानी इसके पीछे की क्या कहानी है...


क्या है कहानी?


वैसे ये बात है झारखंड के बैजनाथ धाम की, जहां भगवान शिव का काफी प्राचीन मंदिर भी है. कहा जाता है कि यहां जो शिवलिंग है, वो रावण लेकर आया था. रावण का लाया हुआ शिवलिंग ही यहां रखा हुआ है और इस शिवलिंग की काफी मान्यता है. इस मंदिर के पास ही दो तालाब है, जिसमें एक लिए कहा जाता है कि वो रावण के मूत्र से बना है. इस वजह से लोग इस एक तालाब को छूते नहीं हैं और ना ही इसके पानी को इस्तेमाल करते हैं. 


क्षेत्र में कही जाने वाली कहानियों के अनुसार, एक बार रावण भगवान शिव को लंका ले जाने की जिद में शिवलिंग को लेकर लंका जाने लगा था. भगवान भी रावण के हठ की वजह से जाने लगे, लेकिन उन्होंने कहा था कि अगर शिवलिंग को रास्ते में कहीं रख दिया तो वो शिवलिंग कभी नहीं उठेगा. इस शर्त पर शंकर भगवान रावण के साथ जाने लगे. इस पूरी कहानी को देखखर देवता घबरा गए और विष्णु भगवान से ऐसा ना होने की अपील की. कहानियों में बताया जाता है कि उस दौरान रास्ते में रावण को लघुशंका के लिए रुकना पड़ा.


इस दौरान भगवान विष्णु ही बच्चे के रुप में रावण के सामने आए और उन्होंने रावण ने बच्चे को शिवलिंग थमा दिया. कहा जाता है कि रावण ने बालक बने विष्णु से अनुरोध किया कि शिवलिंग को अपने हाथों में थाम कर रखे, जब तक कि वह लघु शंका करके न आए. मगर रावण जब वापस लौटा तो बच्चा उसे जमीन रखकर चला गया यानी विष्णु भगवान शिवलिंग को वहां छोड़कर चले गए. शिवलिंग के जमीन पर रखे जाने से रावण दुखी हुआ और शिवलिंग को उठाने की कोशिश की, मगर ऐसा नहीं कर पाया. 


शिवजी के वचन के हिसाब से वो शिवलिंग नहीं उठ पाया और उस शिवलिंग की ही इस धाम में पूजा होती है. वहीं, कहा जाता है कि जहां रावण ने पेशाब की थी, वहां तालाब बन गया था और उसे रावण की पेशाब वाला तालाब कहा जाता है जिसका पानी कोई इस्तेमाल नहीं करता है. इस धाम के लिए ये कहानी है और ये ही वो जगह है, जहां रावण के पेशाब से बना तालाब है. आपको बता दें कि ये सिर्फ धार्मिक कहानियों पर आधारित आर्टिकल है, जिसमें प्रचलित कहानी के बारे में बताया गया है. 


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