Nuclear Fusion: हमारी धरती लगभग 365 दिनों में सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है. सूर्य से ही धरती को ऊर्जा मिलती है. जिसके चलते यहां जीवन संभव है. सूर्य के प्रकाश और उससे मिलने वाली ऊर्जा धरती पर जीवन के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी कि हवा और पानी. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर सूर्य के पास इतनी अपार ऊर्जा कहां से आती है,आखिर कैसे सूर्य हमेशा धधकता रहता है. इस आर्टिकल के जरिए हम इसके बारे में बताएंगे-


सूर्य खुद ही है अपनी ऊर्जा का स्रोत-


आपको ये जानकर हैरत होगी कि सूर्य खुद ही अपनी ऊर्जा का स्त्रोत है. इसका कारण सूर्य में होने वाली नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया है. नाभिकीय संलयन का मतलब होता है जब दो हल्के परमाणु (Atoms) इकट्ठा होकर एक भारी तत्व नाभिक बनाते हैं तो उसे नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया कहते हैं.


सूर्य के अंदर बहुत अधिक गुरुत्वाकर्षण की वजह से होने वाले अत्यधिक दबाव की वजह से संलयन की स्थिति बनती है. हल्के परमाणुओं के मिलने से भारी नाभिक बनने की यह प्रक्रिया (नाभिकीय संलयन) लगातार चलती रहती है जिससे सूर्य में हमेशा ऊर्जा पैदा होती है. यही सूर्य की अपार ऊर्जा का कारण है.


धरती पर जीवन के लिए जरूरी है सूर्य का प्रकाश-


सूर्य का प्रकाश में ही पेड़-पौधे फोटोसिंथेसिस (प्रकाश संश्लेषण) की प्रक्रिया के जरिए अपने भोजन बनाते हैं. जिससे वो जीवित रहते हैं और उनमें वृद्धि-विकास होता है. इंसान के लिए भी सूर्य का प्रकाश बेहद जरूरी है. हमारी पूरी दिनचर्या सूर्य के प्रकाश के आधार पर ही तय होती है. अगर सूर्य का प्रकाश धरती को ना मिले तो यहां जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है.


उदाहरण के लिए हम धरती के ध्रुवीय क्षेत्रों को देखें तो पाते हैं कि वहां पर सूर्य के प्रकाश की बहुत कम उपलब्धता के कारण बहुत ही कम या कहें कि नाममात्र के जीव हैं. वहां पेड़-पौधों का विकास भी बहुत ही कम हुआ है. मौसम में बदलाव से लेकर कृषि के विकास तक सूर्य का प्रकाश बहुत जरूरी है. हालांकि धरती को सूर्य के प्रकाश की संतुलित मात्रा मिलती है.


बहुत अधिक मात्रा में इसकी ऊर्जा का धरती तक पहुंचना घातक है. वायुमंडल की कुछ ऐसी गैसें हैं जो इससे नकारात्मक प्रभाव से धरती की रक्षा करती हैं.


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