क्यों हर पूजा में कुलदेवता, ग्राम देवता और ईष्ट देवता को करते हैं याद, आखिर क्या है इनमें अंतर
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम से पहले हम सभी देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुलदेवता, ग्राम देवता और ईष्ट देवता में क्या अंतर है.
हिंदू धर्म में करोड़ों देवी देवताओं की पूजा की जाती है. सभी देवी-देवताओं की पूजा की अपनी विशेषता और आस्था है. लेकिन पूजा करते वक्त आपने अक्सर सुना होगा कि कुलदेवता, ग्राम देवता और इष्ट देवता की आराधना की जाती है. आज हम आपको बताएंगे कि इन देवताओं में क्या खास अंतर है और क्यों हर पूजा में इनको याद किया जाता है.
कुलदेवता
कुलदेवता उन देवी-देवताओं को कहा जाता है, जहां पर पूर्वज और कई पीढ़ी लंबे समय से पूजा करते हुए आ रही है. इसके अलावा कुलदेवता के जरिए ही कुल के लोग अपने संदेश या उपासना को भगवान तक पहुंचाते थे. घर में किसी भी खास मौके पर कुल देवता को याद किया जाता है और उनके स्थान पर जाकर पूजा-अर्चना करके उन्हें आमंत्रित किया जाता है. बता दें कि सभी कुल के अलग अलग देवी देवता होते हैं. इसके अलावा कुलदेवी या देवता को वंश का रक्षक भी माना जाता है.
ग्राम देवता
हर गांव के एक देवता होते हैं. जिन्हें पूरे गांव के लोग पूजते हैं. ग्राम देवता गांव और समुदाय की रक्षा के लिए होते हैं. इनकी पूजा में सभी गांव के लोग शामिल होते हैं. परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ने के बावजूद सभी लोग ग्राम देवता की ही पूजा करते हैं.
इष्ट देवता
हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता हैं. लेकिन हर इंसान अलग-अलग देवी देवताओं की अराधना करता है. इष्ट का अर्थ है प्रिय होता है. इसलिए हर इंसान के अपने एक प्रिय भगवान होते हैं, जिसकी वह आराधना करता है. उस देवता को इष्ट देवता कहा जाता है. इष्ट देवता हमेशा मार्गदर्शन करते हैं साथ ही हमेशा रक्षा करते हैं.
पहले देवी-देवताओं को याद
किसी भी पूजन में सबसे पहले देवी-देवताओं को याद किया जाता है. क्योंकि बिना देवी-देवताओं के पूजन के कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. इसके अलावा पंडित जी द्वारा किसी भी पूजन में कुलदेवता, ग्राम देवता और ईष्ट देवता को एक साथ इसलिए याद किया जाता है, क्योंकि किसी भी शुभ काम में सभी देवी-देवताओं का पूजन जरूरी होता है.
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