जब भी 26 जनवरी या 15 अगस्त जैसे मौके आते हैं तो हर गाड़ी, घर, दुकान, बिल्डिंग पर भारत के झंडे दिखाई देते हैं और हर तरफ देशभक्ति का माहौल रहता है. लेकिन, उसके अगले दिन आपको सड़क पर झंडे दिखाई देते हैं. दरअसल, लोग एक बार झंडा फहराने के बाद उसे फेंक देते हैं या उसका ध्यान नहीं रखते हैं. इसके अलावा डैमेज झंडे को कहीं भी फेंक देते हैं, जो गलत है. फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय ध्वज को डिस्पोजल करने की भी एक प्रकिया है और उसका पालन करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है. 


पहली बात तो ये है कि कोई भी फटे हुए या दाग लगे हुए झंडे को नहीं फहराना चाहिए. इसके अलावा जानते हैं कि डैमेज या पुराने झंडे को डिस्पोजल करने का सही तरीका आखिर क्या है....


कैसे डिस्पोज करना है?


भारतीय ध्वज संहिता 2002 के अनुसार, नेशनल फ्लैग के डैमेज होने के बाद उसे डिस्पोज करने के दो तरीके हैं, जिसमें दफनाना या जलाना शामिल है. इन दोनों तरीकों से भी फ्लैग डिस्पोजल करने के कुछ नियम हैं. झंडों को दफनाने के लिए सबसे पहले सभी डैमेज झंडों को एक लकड़ी के बक्से में इकट्ठा करना चाहिए और फिर उन्हें अच्छे से समेट कर बॉक्स में रखें और फिर बक्से को जमीन में गाड़ दें. झंडे को गाड़ने के बाद कुछ देर का मौन रखें और शांतिपूर्ण माहौल में ये सब करें. इस प्रक्रिया को मजाक में ना लें. 


इसके अलावा अगर आप पुराने झंडे को जलाकर डिस्पोजल करना चाहते हैं तो जलाने के लिए साफ और सुरक्षित जगह चुनें. फिर आग जलाएं और उसमें झंडे को जला दें. ऐसा नहीं है कि कहीं कचरा जलाया जा रहा है तो आप उसमें झंडे को फेंक दें. बता दें झंडे को सम्मान के साथ जलाना चाहिए और अगर आप झंडे को बैगर मोड़े जलाते हैं तो ये कानूनी अपराध है. झंडे को जलाने और दफनाने के वक्त एक गरिमा बनाए रखना आवश्यक है. 


नियमों में हुआ था बदलाव


बता दें कि दो साल पहले झंडा फहराने के नियमों में बदलाव किया गया था. इस दौरान पॉलिस्टर के झंडे को भी मान्य किया गया था, पहले सूती, बुने हुए झंडे, खादी झंडे को ही फहराने की इजाजत थी. इसके अलावा नए नियमों में सूर्य अस्त के बाद भी झंडे को फहराए रहने की इजाजत दी गई थी. पहले झंडा रात को नहीं फहराया जा सकता था, मगर अब इसमें बदलाव कर दिया गया. 


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