शोधकर्ताओं का दावा - माउंट एवरेस्ट नहीं, बल्कि अमेरिका में है दुनिया की सबसे ऊंची चोटी, जानिए क्या है नाम
Mount Everest: बचपन से हम यही पढ़ते आए हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत, माउंट एवरेस्ट नेपाल में स्थित है. लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नेपाल के बजाय अमेरिका में स्थित है.
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World's Heighest Mountain: अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कौन-सा है, तो आपका जवाब होगा- माउंट एवरेस्ट. आप बिल्कुल सही हैं... दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का आधिकारिक दर्जा माउंट एवरेस्ट के पास ही है, लेकिन हाल ही में कुछ शोधकर्ताओं ने एक नया दावा किया है कि माउंट एवरेस्ट अब दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नहीं है. उनका कहना है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत अमेरिका में है. आइए इस दावे के मुताबिक जानते हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कौन-सा है.
दावे के अनुसार, मौना किया है सबसे ऊंचा पर्वत
बचपन से हम सभी यही पढ़ते आए हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत, माउंट एवरेस्ट नेपाल में स्थित है. शोधकर्ताओं का दावा है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नेपाल के बजाय अमेरिका में स्थित है. इन वैज्ञानिकों के मुताबिक, अमेरिका के हवाई में स्थित सुप्त ज्वालामुखी मौना किया दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है. इस दावे के पक्ष में, उन्होंने कुछ तथ्य भी पेश किए हैं.
कितनी है मौना किया की ऊंचाई
इन शोधकर्ताओं का मानना है कि नेपाल में स्थित माउंट एवरेस्ट समुद्र तल से ऊपर दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है, जिसकी ऊंचाई 8,849 मीटर है. इसकी चोटी धरती पर सबसे ऊंची बिंदु है. वैज्ञानिकों का तर्क है कि प्रत्येक पर्वत का बड़ा हिस्सा समुद्र तल से नीचे भी होता है, लेकिन इसपर किसी का ध्यान नहीं जाता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर हम समुद्र के नीचे से लेकर चोटी तक किसी पर्वत की ऊंचाई मापते हैं, तो दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत मौना किया होता है. इस आधार पर, मौना किया की कुल ऊंचाई 10,205 मीटर है, जबकि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,849 मीटर है. इसलिए, मौना किया ही दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता है.
मौना किया का हिस्सा समुद्र में डूबा हुआ
मौना किया का आधा से ज्यादा हिस्सा प्रशांत महासागर के नीचे होता है, जबकि 4,205 मीटर हिस्सा समुद्र तल से ऊपर होता है. ज्वालामुखी मौना किया बहुत समय से निष्क्रिय है. वैज्ञानिकों के अनुसार, ज्वालामुखी मौना किया पिछले 4,500 सालों से निष्क्रिय है, हालांकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, इसमें कभी-कभी सक्रियता दिखती है.
दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत कौन-सा है?
दूसरे सबसे ऊंचे पर्वत का दावा भी अमेरिका के हवाई में ही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, हवाई में सक्रिय ज्वालामुखी मौना लोआ दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी कुल ऊंचाई 9.17 किमी है. इस आधार पर, माउंट एवरेस्ट दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत हो जाएगा. इसीलिए, इन सभी दावों के बीच, अभी तक आधिकारिक रूप से दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत का दर्जा माउंट एवरेस्ट को ही है.
माउंट चिम्बोराजो की भी हो सकती है दावेदारी
यह बताने के लिए कि किसी पर्वत की ऊंचाई पर निर्भर करता है, इसे कैसे मापते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह निर्भर करता है कि आप इसे कैसे मापते हैं. उनका कहना है कि इक्वाडोर में माउंट चिम्बोराजो तीसरा पर्वत हो सकता है, जिसे दुनिया में सबसे ऊंचा माना जा सकता है. उनके मुताबिक, पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है, और इसकी भूमध्य रेखा बाहर की ओर उभरी हुई है. इक्वाडोर के एंडीज में स्थित चिम्बोराजो भूमध्य रेखा से केवल एक डिग्री दक्षिण में है और एक निष्क्रिय ज्वालामुखी है. इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 6,310 मीटर है. अगर हम धरती के केंद्र से मापते हैं, तो चिम्बोराजो पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पर्वत हो सकता है. हालांकि, हम यह नहीं मापते हैं. हम समुद्र तल से ऊपर या आधार से शिखर तक की माप करते हैं.
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