देश में जातिगत आरक्षण की सीमा को लेकर फिर से चर्चा तेज हो गई है. दरअसल, बिहार सरकार ने फैसला किया था कि वह राज्य में जातिगत आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 फीसदी करेगी. लेकिन बिहार हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. बिहरा सरकार इस रोक को हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की इस मांग को खारिज कर दिया है.


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं और इस मामले पर अब अगली सुनवाई सितंबर में की जाएगी. चलिए अब आपको बताते हैं कि किस राज्य में इस वक्त सबसे ज्यादा आरक्षण मिलता है.


छत्तीसगढ़ में आरक्षण


दिसंबर 2022 में छत्तीसगढ़ की विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया गया था. इस बिल के पास होने पर छत्तीसगढ़ में आरक्षण 76 फीसदी हो गया था, जो उस वक्त देश के किसी भी राज्य में मिलने वाले आरक्षण में सबसे ज्यादा था. इस बिल के पास होने के बाद राज्य की अनुसूचित जनजाति को 32 फीसदी, अनुसूचित जाति को 13 फीसदी और अन्य पिक्षड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलेगा. इसके साथ ही सवर्ण गरीबों को इस मामले में 4 फीसदी आरक्षण मिलेगा.


झारखंड में भी विधेयक हुआ था पारित


झारखंड की बात करें तो वहां के विधानसभा में भी नवंबर 2022 में झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारिक किया गया था. इस विधेयक के पारित होते ही राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ कर 77 फीसदी हो गया था.


कोर्ट इन मामलों पर क्या कहता है


बिहार सरकार वाले मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने भले ही सुनवाई सितंबर में करने को कहा है, लेकिन आरक्षण को 50 फीसदी के दायरे से बाहर ले जाने के बिहार सरकार के फैसले पर पटना हाईकोर्ट नें 20 जून को सुनवाई करते हुए कहा था कि यह नियम संविधान के आर्टिकल 14,15 और 16 का उल्लंघन करता है. इसी वजह से बिहार में बढ़े हुए आरक्षण के नियम को खारिज किया जाता है. आपको बता दें, आर्टिकल 14, 15 और 16 रोजगार के अवसरों में समानता, भेदभाव के खिलाफ बचाव के अधिकारों की बात करते हैं.


ये भी पढ़ें: शिकारियों से ज्यादा सिस्टम की लापरवाही ले रही 'गजराज' की जान, लोकसभा के आंकड़े देख कर हैरान रह जाएंगे