सिर्फ भारत ही नहीं, ये देश भी झेल रहे आरक्षण की आंच, यहां तो सैकड़ों लोग गंवा चुके जान
दुनियाभर में भारत समेत कई देशों में आरक्षण सिस्टम लागू है. बांग्लादेश में तो आरक्षण विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों लोगों की जान चली गई है. जिसके बाद आरक्षण कोटा कुछ कम हुआ है.
भारत में आरक्षण हमेशा से एक बड़ा विषय है. आरक्षण को लेकर संसद से सड़क तक कई बार विरोध प्रदर्शन हो चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के अलावा किन-किन देशों में आरक्षण सिस्टम लागू है और वहां पर क्यों विरोध प्रदर्शन होता है. आज हम आपको बताएंगे कि किन देशों में आरक्षण लागू है.
आरक्षण
अपने देश भारत में जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के अलावा बाकी किन देशों में आरक्षण की व्यवस्था है? बता दें कि भारत के अलावा अमेरिका, चीन, जापान, ब्राजील जैसे देशों में भी आरक्षण व्यवस्था लागू है. हालांकि दुनियाभर के बाकी देशों में आरक्षण को लेकर नियम कुछ अलग है. आज हम आपको बताएंगे कि किन-किन देशों में आरक्षण को लेकर क्या-क्या नियम हैं.
बांग्लादेश
दुनियाभर में आरक्षण को लेकर सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हो रहा है. दरअसल 1971 के बांग्लादेश की आजादी के युद्ध में शामिल परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी में एक खास फीसदी आरक्षण दिया जाता था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 2018 तक 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां अलग अलग श्रेणियों के लिए आरक्षित थी. 30 प्रतिशत नौकरियां उन परिवारों के सदस्यों के लिए आरक्षित थीं, जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी. महिलाओं और अविकसित जिलों के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण था. आदिवासी समुदायों के सदस्यों को 5 प्रतिशत और विकलांग व्यक्तियों के लिए 1 प्रतिशत आरक्षण था. इससे ओपन एडमिशन के लिए केवल 44 प्रतिशत नौकरियां ही बची थी. छात्र मेरिट के आधार पर नौकरियां देने की मांग करते हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
आरक्षण का नया सिस्टम
विरोध प्रदर्शन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिजनों के लिए 5 फीसदी आरक्षण देने का आदेश दिया है, वहीं शेष 2% कोटा जातीय अल्पसंख्यकों और ट्रांसजेंडर और विकलांग लोगों के लिए अलग रखा जाएगा. इसके अलावा अब 93% सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर आवंटित होंगी.
बता दें कि बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के कारण अभी तक 105 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 3000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
भारत
भारत में जाति के आधार आरक्षण व्यवस्था लागू है. भारत में भी कई बार विपक्षी पार्टी और आम जनता इसका विरोध करती हैं.
अमेरिका
इसके दुनिया के सबसे पावरफुल देश अमेरिका में भी आरक्षण व्यवस्था लागू है. अमेरिका में आरक्षण को अफर्मेटिव एक्शन कहते हैं. आरक्षण के तहत यहां नस्लीय रूप से भेदभाव झेलनेवाले अश्वेतों को कई जगह बराबर प्रतिनिधित्व के लिए अतिरिक्त नंबर दिये जाते हैं. इसके अलावा अमेरिकी मीडिया मीडिया, फिल्मों में भी अश्वेत कलाकारों का आरक्षण निर्धारित है.
कनाडा
कनाडा में समान रोजगार का प्रविधान है. जिसके कारण वहां के सामान्य तथा अल्पसंख्यकों सभी का फायदा होता है. भारत से गए सिख इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं. कनाडा में भारतीय सिखों को भी बराबर की अवसर मिलता है.
स्वीडन
बता दें कि स्वीडन में जनरल अफर्मेटिव एक्शन के तहत आरक्षण मिलता है. आसान भाषा में समझिए कि स्वीडन में अमेरिका की तरह ही जनरल अफर्मेटिव एक्शन के तहत अश्वेत लोगों को आरक्षण मिलता है.
ब्राजील
ब्राजील में आरक्षण को वेस्टीबुलर के नाम से जाना जाता है. इस कानून के तहत ब्राजील के संघीय विश्वविद्यालयों में 50 फीसद सीटें उन छात्रों के लिए आरक्षित कर दी गई हैं, जो अफ्रीकी या मूल निवासी गरीब परिवारों से हैं. हर राज्य में काले, मिश्रित नस्लीय और मूल निवासी छात्रों के लिए आरक्षित होने वाली सीटें उस राज्य की नस्लीय जनसंख्या के आधार पर होती हैं.
दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका में काले गोरे लोगो को समान रोजगार का आरक्षण है. वहीं अफ्रीका की क्रिकेट टीम में आरक्षण लागू किया गया है. इसके तहत राष्ट्रीय टीम में गोरे खिलाड़ियों की संख्या पांच से अधिक नहीं होनी चाहिए.
मलेशिया
मलेशिया में 60 फीसद लोग वहीं के हैं. इसके अलावा 23 फीसदी चीनी मूल के हैं और सात फीसदी भारतीय मूल के हैं. इसके अलावा बाकी लोग अन्य नस्लों के हैं. क्योंकि वहां के लोगों को पारंपरिक रूप से शिक्षा और व्यापार में पीछे रहते हैं. इस कारण उन्हें राष्ट्रीय नीतियों के तहत सस्ते घर और सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिलती है.
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