मोहन भागवत को मिली ASL सिक्योरिटी, जानें ये Z+ और Y+ से कितनी अलग
ASL को आप सबसे हाई लेवल की सुरक्षा कह सकते हैं. जब किसी वीआईपी को एएसएल की सुरक्षा दी जाती है तो वह उस प्रोटोकॉल के दायरे में आ जाता है जो देश के प्रधानमंत्री पर लागू होती है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा अब और भी ज्यादा बढ़ा दी गई है. दरअसल, पहले मोहन भागवत को Z+ सिक्योरिटी दी गई थी, लेकिन अब उसे अपडेट कर के एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (ASL) कर दिया गया है. इस तरह की सुरक्षा देश में कुछ ही लोगों को मिलती है. पीएम मोदी और अमित शाह को जो सुरक्षा मिलती है वो भी एएसएल ही है. चलिए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि आखिर मोहन भागवत की सुरक्षा क्यों बढ़ाई गई और एएसएल जेड प्लस और वाई प्लस कैटगरी की सुरक्षा से कितनी अलग है.
मोहन भागवत को क्यों मिली ASL सुरक्षा
आपको बता दें ASL की सुरक्षा सिर्फ उन्हीं वीआईपी लोगों को मिलती है, जिनको लेकर खतरा बड़ा होता है. दरअसल, कुछ दिनों पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लेकर इंटेलिजेंस ब्यूरो को थ्रेट अलर्ट आया था. इसके बाद से ही फैसला लिया गया कि मोहन भागवत की सुरक्षा में इजाफा किया जाएगा. चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर ASL सुरक्षा किस तरह की होती है.
ASL सुरक्षा का मतलब क्या होता है
इसे आप सबसे हाई लेवल की सुरक्षा कह सकते हैं. जब किसी वीआईपी को एएसएल की सुरक्षा दी जाती है तो वह उस प्रोटोकॉल के दायरे में आ जाता है जो देश के प्रधानमंत्री पर लागू होती है. यानी अब मोहन भागवत किसी भी सामान्य हेलिकॉप्टर से यात्रा नहीं करेंगे, बल्कि विशेष रूप से तैयार किए गए हेलिकॉप्टर से ही यात्रा करेंगे. इसके अलावा मोहन भागवत जहां भी जाएंगे, उनके पहुंचने से पहले उस जगह की समीक्षा होगी और वहां सिक्योरिटी रिहर्सल भी किया जाएगा. इसके अलावा अब मोहन भागवत जहां भी जाएंगे उनकी सुरक्षा में जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय एजेंसियां भी तैनात रहेंगी.
ASL सिक्योरिटी Z+ और Y+ से कितनी अलग
एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (ASL) एक सुरक्षा प्रोटोकॉल है. इसके अंतर्गत राज्य पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल, खुफिया एजेंसियां और अन्य सुरक्षा से संबंधित विभाग एक साथ काम कर रहे होते हैं. एएसएल सुरक्षा में कई स्तरों की सुरक्षा शामिल होती है, जिसमें आंतरिक और बाहरी सुरक्षा घेरे होते हैं. इसके अलावा ASL प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा में आधुनिक तकनीक और उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे- CCTV कैमरे, मेटल डिटेक्टर्स और एक्स-रे मशीनें. इसके अलावा ASL सुरक्षा प्रोटोकॉल में कमांडो की संख्या खतरे के आधार पर बढ़ाई और घटाई जा सकती है. आसान भाषा में कहें तो एडवांस सिक्योरिटी लाइजन Z+ सिक्योरिटी का ही अपडेट वर्जन है.
वहीं Z+ और Y+ की बात करें तो जेड प्लस सुरक्षा में 55-58 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं. जिसमें 10-12 एनएसजी के कमांडो भी शामिल होते हैं. इसके अलावा, स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के जवान भी जेड प्लस सिक्योरिटी में शामिल होते हैं. जबकि, वाई प्लस सुरक्षा की बात करें तो Y+ सुरक्षा में करीब 11-12 सुरक्षाकर्मी होते हैं. जिनमें एनएसजी के कमांडो की संख्या 2 से 4 होती है. Z+ सुरक्षा में जहां तीन लेयर की सुरक्षा होती है. वहीं Y+ सुरक्षा में एक लेयर का सुरक्षा घेरा होता है.
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