राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में गर्मी इस साल अप्रैल में ही नए रिकॉर्ड बना रही है. इस गर्मी को देखकर विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में गर्मी अपने चरम पर होगी. इस गर्मी के साथ ही लोगों के घरों में एसी चलना शुरू हो चुका है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर कितने टेंपरेचर पर एसी चलाना चाहिए, जिससे शरीर को नुकसान ना पहुंचे.
गर्मी में एसी
बता दें कि आपके कमरे का तापमान आपके नींद पर गहरा असर डालता है. इसको लेकर नेशनल स्लीप फाउंडेशन ने एक पोल किया था, जिससे पता चला कि कमरे को ठंडा रखने से गहरी और अच्छी नींद आती है. इस पोल में शामिल हर पांच में चार लोगों ने कहा कि अच्छी नींद के लिए कमरे का तापमान बाहर के तापमान से कम होना जरूरी होता है. हालांकि ये आप पर निर्भर करता है कि आप कमरे का तापमान कितना कम रखना चाहते हैं. इस बारे में कई शोध और अध्ययन हो चुके हैं.
एसी का टेंपरेचर
डॉक्टरों के मुताबिक सुकून भरी गहरी नींद के लिए कमरे का तामान 18.3 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इसे अपनी सुविधा के मुताबिक आप कुछ कम या कुछ ज्यादा रख सकते हैं. डॉक्टर्स का मानना है कि कमरे का तापमान 15.6 से लेकर 19.4 डिग्री सेल्सियस तक रखना गहरी नींद के लिए सबसे अच्छा है. इससे आपके शरीर को आराम मिलता है. रिसर्च के मुताबिक हमारा शरीर शाम के बाद सामान्य तापमान में गिरावट का आदी होता है. इसलिए कमरे का तापमान बाहर के तापमान से कम करना आप अपने शरीर को संदेश दे सकते हैं कि अब सोने का वक्त हो गया है.
बच्चों के लिए कितना टेंपरेचर
बता दें कि बहुत छोटे बच्चों को ठंड का ज्यादा लगती है. इसलिए गर्मियों में उनके कमरे का तापमान एक से दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा रखना बेहतर माना जाता है. इसको आसान भाषा में कहें तो बच्चों के कमरे का तापमान 20.5 डिग्री सेल्सियस रखना उनके आरामदायक नींद के लिए ठीक है.
इसके अलावा डॉक्टरों ने बच्चों को लेकर कहा कि बहुत छोटे बच्चों को भारी-भरकम कंबल या रजाई में सुलाने से परहेज करना चाहिए. उन्हें ऐसे कपड़े पहनाने चाहिए, जिससे उनके शरीर का तापमान स्थिर बना रहे. पेरेंट्स को सोते समय बच्चों के पेट और गर्दन के पीछे के हिस्से को छूकर चेक करना चाहिए कि उनके शरीर का तापमान ज्यादा तो नहीं है. क्योंकि कई शोध में पता चला है कि बच्चे 11 सप्ताह की उम्र तक तापमान के मामले में परिपक्व हो जाते हैं.
तापमान का नींद पर असर
जानकारी के मुताबिक नींद का चक्र हमारे सर्केडियन रिदम से कंट्रोल होता है. सर्केडियन रिदम सूर्य के प्रकाश और अंधेरे पर निर्भर करता है. इसे हाइपोथैलेमस में स्थित मस्तिष्क का एक हिस्सा नियंत्रित करता है, जिसे सुप्रेक्यास्मैटिक न्यूक्लियस कहा जाता है. यह मास्टर ‘बॉडी क्लॉकत्र कई पर्यावरणीय और व्यक्तिगत कारकों से संकेत हासिल करता है. आसान भाषा में कहा जाए तो कमरे का तापमान हमारी नींद पर गहरा असर डालता है. इसके लिए स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन जिम्मेदार होता है. बता दें कि कमरे का गर्म तापमान असुविधा और बेचैनी का कारण बन सकता है. इसके अलावा आपके कमरे में बहुत ज्यादा सामान रखा है तो उससे भी कमरे का तापमान ज्यादा बढ़ सकता है. इससे आप सोते समय पसीने से भीग सकते हैं और आपको डिहाइड्रेशन की शिकायत हो सकती है.
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