World War 3: रूस-यूक्रेन जंग को शुरू हुए एक साल हो चुका. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति की यूक्रेन यात्रा को इस लड़ाई में एक नए मोड़ की तरह देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि अब या तो यह लड़ाई रुक जाएगी, या फिर और भी बढ़ जाएगी. आशंका तो यह भी लगाई जा रही है कि शायद तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाए. अगर ऐसा होता है तो दुनिया तीन हिस्सों में बंट जाएगी. आइए जानते हैं कौन किसके साथ होगा और भारत इसमें कहां खड़ा होगा.


क्या वाकई होगा तीसरा विश्व युद्ध?


रक्षा विशेषज्ञ की मानें तो कोविड से कमजोर हुई दुनिया में महंगाई बढ़ी है और देशों के अंदरुनी हालात बिगड़े हैं. ऊपर से रूस-यूक्रेन युद्ध इस ढेर पर चिंगारी का काम करेगा. ऐसे में थके और परेशान हुए देश आपस में उलझकर जंग के हालात पैदा कर सकते हैं. विशेषज्ञों के अलावा आम लोग भी यही सोचने लगे हैं कि तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. दिसंबर 2022 इंटरनेशनल फर्म Ipsos की ओर से कराए गए एक सर्वे में शामिल 34 देशों के ज्यादातर लोगों ने माना कि जल्द ही तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. भारत भी इस सर्वे का हिस्सा था, यहां करीब 79 प्रतिशत लोगों ने युद्ध की आशंका जताई. ऐसे में आइए जानते हैं युद्ध हुआ तो भारत की इसमें क्या भूमिका होगी.


क्या है मामला?


नब्बे के दशक में भाषा और दूसरी वजहों के चलते यूक्रेन सोवियत संघ (रूस) से टूटकर एक आजाद देश बना. अपनी आंतरिक समस्याओं और रूस के अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप से जूझते हुए यूक्रेन धीरे-धीरे कंफर्ट जोन से बाहर आकर दूसरे देशों से घुलने-मिलने लगा. रूस का गुस्सा यूक्रेन पर तब ज्यादा बढ़ गया, जब उसने खुद को नाटो में शामिल करने की अपील की. नॉर्थ अटलाटिंक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) में रूस का कट्टर दुश्मन अमेरिका भी शामिल है. यह संगठन युद्ध जैसे हालातों में एक-दूसरे की सहायता करते हैं. ऐसे में यूक्रेन अगर नाटो से जुड़ जाता है तो बड़े-बड़े देश रूस के खिलाफ उसका साथ देंगे. इसी बात ने रूस की सरकार यूक्रेन से काफी नाराज हो गई. 2021 के आखिर में ही रूस ने यूक्रेन की सीमाओं पर सैनिक तैनात करने शुरू कर दिए और 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला कर दिया, तभी से दोनों देशों के बीच लड़ाई जारी है.


कौन किसके साथ होगा?


आंशकाएं जताई जा रही हैं कि अगर जल्दी ही युद्धविराम न हुआ तो दोनों देशों की आग पूरे विश्व में फैल जाएगी और तीसरे विश्व युद्ध की शुरूरात हो जायेगी. ऐसा हुआ तो कुछ देश रूस का साथ देंगे और कुछ अमेरिका की तरफ होंगे. वहीं, एक तीसरा पाला भी बनेगा, जिसमें कुछ ऐसे देश होंगे, जिनका दोनों ही पक्षों से कुछ न कुछ वास्ता है और जो जंग न चाहते हुए भी उसका हिस्सा बन चुके होंगे. भारत भी इन्हीं में से एक हो सकता है. 


शक और चुनौती के होंगे हालात


जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) भौगोलिक आधार पर अलग-अलग तरह की जानकारियां जमा करने वाला एक कंप्यूटर सिस्टम है. इसकी कई रिपोर्ट्स के आधार पर रक्षा विशेषज्ञ और जर्मनी के फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट रूडोल्फ जी एडम ने जीआईएस ने इस तरह का दावा किया है. जिसके मुताबिक तीन पक्ष एक-दूसरे को शक और चुनौती की नजर से देखेंगे और यही बात आगे चलकर लड़ाई को बढ़ा सकती है. पश्चिमी उदारवादी और पूंजीवादी देश अमेरिका, कनाडा, यूके, यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया आदि एक तरफ होंगे. इसमें दक्षिण कोरिया भी हो, क्योंकि एक समय पर अमेरिका ने उसकी काफी मदद की थी. 


दूसरे खेमे में होंगे ये देश


इस खेमे में रूस सहित बेलारूस, इरान, सीरिया, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया शामिल हो सकते हैं. चीन के इसमें ऑन एंड ऑफ तरीके से रहने का अनुमान है, लेकिन उसकी ज्यादा संभावना इसी पक्ष में रहने की रहेगी. इसकी एक वजह चीन का अमेरिका की जगह खुद को सुपरपावर मानना है. इसलिए संभव है कि चीन दुश्मन का दुश्मन दोस्त की तर्ज पर कूटनीति खेल सकता है. 


तीसरे खेमे की अगुवाई करेगा भारत


तीसरा खेमा बिल्कुल नया हो सकता है, इसमें विकासशील देशों के शामिल रहने की संभावना है. भारत इनकी अगुवाई कर सकता है. बाकी दक्षिण एशियाई देश भी इसी के साथ होंगे. दक्षिण अमेरिका और अरब देश भी इसी पाले में होंगे, क्योंकि आमतौर पर इनका पाला दोनों ही खेमों से पड़ता है और जो युद्ध रोकना चाहते हैं. भारत के लगातार इकनॉमी में आगे आने की वजह से सबकी उम्मीदें इस तरफ हैं. ऐसे में वो कमजोर देशों के लीडर के तौर पर उभरकर तीसरे खेमे का नेतृत्व भी कर सकता है. बहुत मुमकिन है कि भारत शांति की अपील करे, जिसको शायद सुना भी जाए. 


रूस और ईरान दोनों ही पर अमेरिकी पाबंदी है, इस वजह से दोनों आपस में दोस्त बन गए हैं. फिलहाल यूक्रेन से लड़ाई में भी ईरान अपने नए दोस्त यानी रूस की हथियारों और ड्रोन्स से मदद कर रहा है. दोनों ही देश ताकतवर हिनेंके साथ-साथ आक्रामक भी है. ऐसे में इनका एक साथ होना बड़ा खतरा हो सकता है. 


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