Russia-Ukraine War: लगभग सालभर से चल रही रूस-यूक्रेन जंग अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है. इस सबके बीच दुनियाभर के लोगों को तीसरे विश्व युद्ध के शुरू होने की आशंका भी सता रही है. दिसंबर 2022 इंटरनेशनल फर्म Ipsos के एक सर्वे में शामिल 34 देशों के ज्यादातर लोगों ने माना कि जल्द ही तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. 


इसमें ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा लगभग 81 प्रतिशत लोगों ने युद्ध की आशंका पर हां की. वहीं, जापान 51 प्रतिशत के साथ लिस्ट में सबसे नीचे रहा. शायद इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान इस देश ने परमाणु हमले को खेला था. इसलिए हो सकता है कि वो इसकी कल्पना से भी डरता हो. वहीं, भारत में लगभग 79 प्रतिशत लोगों ने युद्ध की आशंका जताई. वैसे तो वर्ल्ड वॉर पूरी दुनिया में तबाही मचा देता है, लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं, जिनपर सबसे ज्यादा खतरा होगा.


पहला विश्व युद्ध


पहला विश्व युद्ध जुलाई 1914 से शुरू होकर नवंबर 1918 को जर्मनी के समर्पण के साथ खत्म हुआ था. लगभग साढ़े चार सालों तक चले इस वॉर जिम्मेदारी वैसे तो किसी ने नहीं ली, लेकिन इसकी वजह ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड की हत्या को माना जाता है. बोस्निया के दौरे पर फर्डिनेंड की हत्या हो गई थी, जिसका आरोप सर्बियाई सरकार पर लगाया गया. महीनेभर में ही आस्ट्रिया ने उसके खिलाफ जंग शुरू कर दी और धीरे-धीरे दुनियाभर के देश इसमें शामिल होते चले गए. इस तरह दो देशों की जंग विश्व युद्ध में बदल गई. माना जाता है कि इस भीषण युद्ध में करीब एक करोड़ लोगों की मौत हुई.


दूसरा विश्व युद्ध


दूसरे विश्व युद्ध के बीज, पहले युद्ध के परिणामों में ही छिपे थे. प्रथम विश्व युद्ध के बाद सभी बड़े देशों ने जर्मनी को मजबूर किया और उसपर कई सारे प्रतिबंध लगाए. उस दौरान अडोल्फ हिटलर नाजी पार्टी के नेता के तौर पर उभर रहे थे. उन्होंने तय किया कि वो इसे नहीं भूलेंगे. साल 1933 में हिटलर के देश का सैन्य शासक बनने के बाद ऑस्ट्रिया भी उनके पाले में चला गया. मार्च 1939 में हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया पर हमला कर उसपर कब्जा कर लिया और वहां से फिर पोलैंड पर हमला कर दिया. यहीं से दूसरा विश्व युद्ध प्रारंभ हो गया. 


इस दौरान दुनियाभर के बड़े देश दो हिस्सों में बंट गए. एक तरफ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और सोवियत संघ जैसे बड़े देश थे और दूसरी तरफ जर्मनी, जापान और इटली. जर्मनी की हार होते देख हिटलर ने खुदकुशी कर ली और उधर अमेरिका के न्यूक्लियर हमले के बाद जापान ने भी हथियार डाल दिए. इस तरह से सितंबर 1945 को दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो सका.


इन देशों को है हाई रिस्क 


वैसे तो युद्ध छिड़ने पर कोई भी देश पूरी तरह सुरक्षित नहीं रहेगा, लेकिन कई देश ऐसे भी हैं जिनपर सबसे ज्यादा खतरा रह सकता है. इन हाई रिस्क देशों में वेनेजुएला का नाम सबसे ऊपर है. ये दक्षिण अमेरिकी देश पहले ही गरीबी और गृहयुद्ध से जूझ रहा है, साथ ही इसके राजनैतिक हालात भी काफी समय से अस्थिर हैं. ऐसे में युद्ध की स्थिति में आर्थिक या राजनैतिक लाभ के लिए ये देश किसी के पक्ष में या किसी के खिलाफ खड़ा हो सकता है. कई अफ्रीकी देश जैसे सूडान, सोमालिया, नाइजीरिया और बुर्किना फासो को भी हाई रिस्क में गिना जा रहा है. यहां के राजनैतिक हालात की वजह से युद्ध के दौरान यहां आपात स्थितियां बन सकती है, जैसे मेडिकल सुविधा की कमी हो जायेगी और कहीं जाने के लिए कनेक्टिविटी की भी दिक्कत रहेगी.


उत्तर कोरिया में रहना इसलिए है खतरनाक


उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन हमेशा से ही अमेरिका से उलझते रहते हैं. यहां तक कि अपने पड़ोसी देश साउथ कोरिया से भी किम के संबंध खराब हैं. ऐसे में हो सकता है कि ये देश तीसरी जंग का हिस्सा बने या फिर शुरुआत ही यहीं से हो. ऐसे में नॉर्थ कोरिया में रहना किसी हाल में सेफ नहीं है. मिडिल ईस्टर्न देशों में यमन, इराक और सीरिया हाई रिस्क देश हैं. ये तीनों देश गृह युद्ध झेल रहे हैं. ऐसे में युद्ध जैसी एक्सट्रीम स्थिति में हालात और भी बिगड़ सकते हैं.


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