स्पेस और अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अधिकांश लोगों के मन में कई तरह के सवाल आते हैं. क्योंकि स्पेस पूरी तरह से रहस्यमयी है. हालांकि अंतरिक्ष को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार कुछ नया खोजते रहते हैं. लेकिन आज हम आपको स्पेस को लेकर एक रोचक किस्सा बताने वाले हैं. दरअसल एक समय पर रूस के अंतरिक्ष यात्री स्पेस में गन लेकर जाते थे. आज हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे क्या वजह थी. 


क्यों गन लेकर जाते थे अंतरिक्ष यात्री ?


आपको सुनकर ये थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि एक अंतरिक्ष यात्री आखिर क्यों स्पेस में गन लेकर जाता था. लेकिन ये बिल्कुल सच है कि एक समय पर रूसी अंतरिक्ष यात्री स्पेस में गन लेकर जाते थे. दरअसल खुद की रक्षा के लिए और वापसी में पृथ्वी पर आपात लैंडिंग की स्थिति से निपटने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को गन दी जाती थी. 


अंतरिक्ष अभियान


बता दें कि शुरूआत में कम संसाधनों में मानव जब अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी करता था, उस वक्त बहुत सारी समस्याओं और चुनौतियों से जूझना पड़ता था. इनमें से एक चुनौती अंतरिक्ष यान की पृथ्वी के वायुमंडल में रीएंट्री के दौरान होने वाली समस्याएं थीं. वहीं इस दौरान स्पेस क्राफ्ट में होने वाली गड़बड़ियों के कारण यान निर्धारित जगह से बहुत दूर उतर सकते थे. 
ऐसे ही जोखिम को कम करने के लिए रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को एक टीपी-82 ट्रिपल बैरल पिस्टल दी जाती थी. यह बंदूक खास तौर से रूसी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए डिजाइन की गई थी. बता दें कि इस खास पिस्टल में तीन तरह की गोलिया होती थी. इनका उपयोग छोटे जानवरों का शिकार करने के लिए, बड़े शिकारी जानवरों से खुद की रक्षा करने के लिए और आसमान में आग जला कर दूर मौजूद मदद के लिए ध्यान खींचने के लिए किया जाता था. जानकारी के मुताबिक ऐसा इसलिए जरूरी था क्योंकि शुरुआती दौर में अंतरिक्ष यान की रीएंट्री इतनी नियंत्रित या सटीक तौर पर अनुमानित नहीं हुआ करती थी.


अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जरूरी उपकरण


ये सच है कि शुरूआती अंतरिक्ष मिशन में बहुत सारी चुनौतियां होती थी. लेकिन इन सबसे निपटने के लिए स्पेस एजेंसी अपनी यात्रियों के साथ सभी जरूरी खाने के सामान और उपकरण भेजती थी. वहीं रूसी एजेंसी रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को इस पिस्टल के साथ अतिरिक्त राशन, आपात दवाएं, संचार उपकरणों देकर स्पेस में भेजती थी. जिससे पृथ्वी पर लौटने के बाद और कहीं गलत जगह पर लैंड करने पर उन्हें किसी तरह की स्थिति से निपटने में आसानी रहे. हालांकि संसाधन बढ़ने और वैज्ञानिकों की खोज के साथ ही ये जरूरतें खत्म होती गई. यहीं कारण है कि बाद में रूसी एजेंसी ऐसे गन को भेजना बंद कर दिया था.


 


ये भी पढ़ें: ब्‍लूबेरी का रंग  नहीं होता नीला, जानें क्या है इस फल का असली रंग