किसी भी नौकरीपेशा इंसान के जीवन में सैलरी का सबसे अहम रोल होता है. हर महीने के अंत में लोगों को अपनी सैलरी का इंतजार रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सैलरी शब्द कहां से आया है. आज हम आपको बताएंगे कि तनख्वाह के नाम पर नमक मिलने से से शुरू हुआ सैलरी तक कैसे पहुंचा. जानें इसके पीछे की पूरी कहानी. 


सैलरी के रुप में मिलता था नमक


बता दें कि प्राचीन रोम में पहले पैसे की जगह नमक का इस्तेमाल किया जाता था. उस वक्त जो सैनिक रोमन साम्राज्य के लिए काम करते थे, उन्हें काम के बदले मेहनताना के रूप में नमक ही दिया जाता था. माना जाता है कि ‘नमक का कर्ज’ जैसी कहावतों की शुरुआत यहां से हुई थी. 


कैसे आया सैलरी का नाम ?


इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक रोमन इतिहासकार प्लीनी द एल्डर अपनी किताब नैचुरल हिस्ट्री में लिखते हैं कि रोम में पहले सैनिकों का मेहनताना नमक के रुप में दिया जाता था. इससे ही सैलरी शब्द बना है. कहा जाता है कि Salt से ही Salary शब्द आया है. कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि Soldier शब्द लैटिन में ‘sal dare’ से बना है, जिसका अर्थ भी नमक देने से ही है. रोमन में नमक को सैलेरियम कहते हैं, इसी से सैलरी शब्द बना है.


जब वेतन के तौर पर मिला नमक


फ्रांस के इतिहासकारों का मानना है कि पहली बार सैलरी 10,000 ईसा पूर्व से 6,000 ईसा पूर्व के बीच दी गई थी. प्राचीन रोम में लोगों को काम के बदले पैसे या मुद्रा के बदले नमक दिया जाता था. तब रोमन साम्राज्य के सैनिकों को ड्यूटी के बदले पगार के तौर पर एक मुट्ठी नमक दिया जाता था. उस वक्त नमक का व्यापार भी किया जाता था. इससे पहले वेतन के बारे में बहुत जानकारी नहीं मिलती है.


नमक मिलना वफादारी


हिब्रू किताब एजारा में 550 और 450 ईसा पूर्व का जिक्र है. जिसमें लिखा गया है कि अगर आप किसी व्यक्ति से नमक लेते हैं, तो ये पगार देने के बराबर है. उस वक्त नमक की बहुत अहमियत होती थी. किसी जमाने में नमक पर उसी का हक होता था, जिसका राज होता था. इस किताब में एक मशहूर फारसी राजा आर्टाजर्क्सीस प्रथम का जिक्र है, जिनके नौकर अपनी वफादारी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि हमें राजा से नमक मिलता है. इसलिए वे उनके प्रति समर्पित और वफादार हैं.


 


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