क्या इस जासूस पर बनी है सलमान की टाइगर? जो पाकिस्तान में पढ़ा, सेना में मेजर बना और जासूसी करता रहा!
Tiger-3 Story: सलमान खान की फिल्म टाइगर के लिए कहा जा रहा है कि ये फिल्म भारत के फेमस जासूस रवींद्र कौशिक की लाइफ पर आधारित है. तो जानते हैं रवींद्र कौशिक की लाइफ कैसे रही थी.
बॉलीवुड एक्टर सलमान खान की फिल्म टाइगर-3 बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है. भारतीय जासूस की कहानी वाली ये फिल्म फिर से शानदार प्रदर्शन कर रही है. कई लोगों का मानना है कि फिल्म सत्य घटना पर आधारित है और इस फिल्म में सलमान खान ने भारत के सबसे 'खतरनाक' जासूस रहे रवींद्र कौशिक का किरदार निभाया है. लेकिन, फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान ने एक था टाइगर के वक्त ही ये बता दिया था कि फिल्म किसी के जीवन पर आधारित है. हालांकि, टाइगर-3 के रिलीज होने के बाद अब फिर से रवींद्र कौशिक की चर्चा हो रही है और उनकी बहादुरी की कहानियं बताई जा रही है.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर रवींद्र कौशिक कौन थे और इस आर्टिकल में उनके जीवन और मिशन से जुड़े कुछ अहम किस्से बता रहे हैं, जिससे आप भी उस खास शख्सियत के बारे में जान सके. तो जानते हैं रवींद्र कौशिक से जुड़ी हर एक बात...
खतना भी करवा लिया था
भारत के इतिहास में ब्लैक टाइगर के नाम से मशहूर रवींद्र कौशिक ने पाकिस्तान में काफी काम किया था. रवींद्र कौशिक राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले थे और यहां ग्रेजुएशन करने के बाद ही वो रॉ में शामिल हुए और उन्हें कम उम्र में ही पाकिस्तान में एक जासूस के तौर पर भेज दिया गया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से जाने के बाद वो पाकिस्तान में नबी अहमद शेख़ के नाम से वहां रहने लगे और उन्होंने आगे की पढ़ाई वहां की. कहा जाता है कि खुद को मुसलमान प्रूव करने के लिए उन्होंने अपना खतना भी करवा लिया था.
भारत के रॉ एजेंट होते हुए उन्होंने वहां पढ़ाई की और वहां की सेना में शामिल हो गए. इसके बाद वे सेना में मेजर के पद तक पहुंचे और वहां शादी करके वहां ही बस गए. वे 30 साल तक भारत से बाहर रहे और वहां उन्होंने अपनी जिंदगी बिताई. लेकिन, एक बार किसी दूसरे एंजेट के पकड़े जाने पर उनकी पहचान उजागर हो गई. फिर उन्हें पकड़ लिया गया और काफी परेशान कियागया. इसके बाद 1985 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी और फिर उनकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई. इसके बाद जेल में ही 2001 में उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई.
30 साल पहचान नहीं बताई
उन्हें पाकिस्तान भेजे जाने से पहले इस्लाम की शिक्षा दी गई और लंबी ट्रेनिंग दी गई थी. कहा जाता है कि जब वे पाकिस्तानी जेल में तो उन्हें छोड़ने के बदले भारत की खुफिया जानकारी मांगी गई थी, लेकिन उन्होंने जानकारी देने के बजाय खुद को जेल में रखना ठीक समझा. हालांकि, भारत वापस ना पाने को लेकर कई कहानियां हैं और सरकार पर कई आरोप भी हैं. उन्हें भारत का सबसे अच्छा जासूस भी माना जाता है, जो करीब 30 साल तक अपनी पहचान छुपाए पाकिस्तान में रहे थे.
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