उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद विवाद के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का नाम इन दिनों सुर्खियों में है. ASI संभल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का पता लगाने के लिए कई स्थलों का सर्वेक्षण कर रहा है. एएसआई की टीम ने यहां 5 तीर्थों और 19 कुंओं का सर्वे किया है, साथ ही प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर का भी सर्वेक्षण किया है. 


देश में इस तरह का सर्वे पहली बार नहीं किया जा रहा है. इससे पहले अयोध्या में और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के भी इसी तरह सर्वे हो चुके हैं. सर्वे के बाद एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर अदालतें अपना फैसला भी सुनाती आई हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI की स्थापना कब हुई थी? एएसआई ने देश में पहला सर्वे कब किया था? इस सर्वे में क्या मिला था? 


कब हुई थी एएसआई की स्थापना?


भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का इतिहास देश की आजादी से भी पुराना है. आजादी से लगभग आठ दशक पहले 1861 में इसकी स्थापना की गई थी. ब्रिटिश इंडिया में अलेक्जेंडर कनिंघम इसके पहले महानिदेशक बने थे. हालांकि, 1865 से 1871 के बीच धन की कमी के कारण सर्वेक्षण को निलंबित कर दिया गया था, जिसके बाद भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लॉरेंस ने इसे बहाल किया था. इसके बाद कनिंघम को एक बार फिर एएसआई का महानिदेशक नियुक्त किया गया, जिन्हें 1885 तक काम किया. उनके सेवानिवृत्त होने के बाद जेम्स बर्गेश एएसआई के दूसरे महानिदेशक बने. बता दें, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. दरअसल, कई बार वित्तीय संकट के कारण इस विभाग पर संकट के बादल मंडराए और इसे समय-समय पर निलंबित किया जाता रहा. 


कहां किया था पहला सर्वेक्षण?


भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले सर्वे को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है. हालांकि, 1904 में जब जॉन मार्शल एएसआई के डायरेक्टर बने तो उन्होंने दया राम साहनी को हड़प्पा की खुदाई का काम सौंपा. लगभग इसी समय सिंध प्रांत में एक और साइट के पास कुछ अवशेष मिले थे, जिसे मोहनजोदाड़ो के नाम से जाना गया. इन दोनों साइट के सर्वेक्षण के बाद 1921 में हड़प्पा और मोहनजोदाड़ों में सिंधु घाटी सभ्यता की खोज की गई थी. बता दें, जॉन मार्शल के कार्यकाल में ही 1913 में तक्षशिला की भी खुदाई शुरू हुई थी, जो करीब 21 साल तक चली थी. 


अयोध्या में किया गया था सर्वे


देश की आजादी के समय ब्रिटिश सैन्य अधिकारी और पुरातत्वविद मोर्टिमर व्हीलर एएसआई के महानिदेशक थे. 1948 में एनपी चक्रवर्ती ने एएसआई के डायरेक्टर का पदभार संभाला. इसके बाद माधे सरूप वत्स और अमलानंद घोष डायरेक्टर बने. अमलानंद घोष 1968 तक एएसआई के डायरेक्टर रहे, उनके समय में कालीबंगन, लोथल, धोलावीरा में खुदाई का काम चला. घोष के बाद बीबी लाल ने एएसआई के डायरेक्टर का पदभार संभाला. इसी दौरान उन्होंने अयोध्या में खुदाई का काम शुरू किया. जानकारी के मुताबिक, आधिकारिक तौर पर ASI ने 1975 से 1976 में अयोध्या में विवादित स्थल के आसपास सर्वेक्षण का काम शुरू किया था. बता दें, अयोध्या में राम मंदिर पर जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, उस समय एएसआई की रिपोर्ट ने ही अहम भूमिका निभाई थी. एएसआई ने ही अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विवादित मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी.


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