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एक खास तरह की छिपकली से निकलता है सांडे का तेल, जानिए क्या ये सच में फायदा करता है?
सांडे के तेल को लेकर विशेषज्ञ कहते हैं कि इस छिपकली की चर्बी भी ठीक उसी तरह की है, जैसा की आम जानवरों की चर्बी होती है. इसकी चर्बी में कोई खास बात नहीं है. यहां तक की इसके कई नुकसान भी हैं.
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सांडे का तेल, आपने ये शब्द कई बार सुना होगा या फिर कहीं दीवार पर लिखे इश्तिहार में पढ़ा होगा. लेकिन क्या आप इस तेल की हकीकत के बारे में जानते हैं. क्या आप जानते हैं कि आखिर इस तेल को बनाया कैसे जाता है और क्या सच में यौन शक्ति को बढ़ाने में कारगर है, जैसा कि इसे लेकर दावा किया जाता है. चलिए आज आपको उस जानवर से मिलवाते हैं जिसे इस तेल के लिए अपनी जान देनी पड़ती है.
क्या होता है सांडे का तेल
सांडे का तेल एक प्रकार की छिपकली से निकाला जाता है, जिसका नाम है सांडा. ये खासतौर से रेगिस्तान के इलाकों में पाए जाते हैं. भारत में कभी कन्नोज से लेकर पूरे थार मरुस्थल तक ये पाए जाते थे. लेकिन तेजी से इनके शिकार ने इन्हें अब बिलुप्ति के कगार पर ला दिया है. भारत में इन छिपकलियों के शिकार पर रोक है. हालांकि, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में ऐसा नहीं है. वहां आज भी धड़ल्ले से इनका शिकार हो रहा है और इनकी चर्बी से तेल निकाल कर बाजार में बेचा जा रहा है.
कैसे निकालते हैं इससे तेल
बीबीसी में छपी एक खबर के मुताबिक, पाकिस्तान के रेगिस्तानी इलाके में कुछ शिकारी हैं जिनका मुख्य काम ही सांडा छिपकली को पकड़ना है. वो रोज़ इन छिपकलियों के लिए फंदा लगते हैं और शाम होते होते दर्जन भर छिपकलियों को पकड़ लेते हैं. इन्हें पकड़ने के बाद शिकारी सबसे पहले इनकी कमर की हड्डी तोड़ देते हैं, ताकि ये भाग ना सकें. ये शिकारी इसके बाद इन्हें शहर के दवाखानों और उन लोगों को बेंच देते हैं, जो इसका कारोबार करते हैं. तेल बनाने वाले लोग एक चाकू से इनका पेट चीरते हैं और उसमें मौजूद चर्बी को निकाल लेते हैं. फिर उसे गर्म कर के उसका तेल एक छोटी सी शीशी में भर कर रख लेते हैं. कई बार ये पूरी प्रक्रिया ग्राहक के सामने की जाती है, ताकि उसे इसमें मिलावट का संदेह ना रहे.
क्या सांडे का तेल सच में फायदेमंद होता है?
बीबीसी में छपी खबर के अनुसार, इस तेल को लेकर आयुर केयर अस्पताल में यूरोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर डॉक्टर मुज़म्मिल ताहिर कहते हैं कि इसके जितने भी यौन संबंधी फायदे बताए जाते हैं सब मनगढंत हैं. इस छिपकली की चर्बी भी ठीक उसी तरह की है, जैसा की आम जानवरों की चर्बी होती है. इसकी चर्बी में कोई खास बात नहीं है. यहां तक की इसके कई नुकसान भी हैं. कई बार लोग इस तेल को लगाने के बाद डॉक्टर के पास पहुंचते हैं और तब पता चलता है कि इस तेल की वजह से उनकी त्वचा जल गई है. लेकिन अब सवाल उठता है कि इस तेल के लिए सांडा को ही क्यों चुना गया?
दरअसल, इसके पीछे की मुख्य वजह ये बताई जाती है कि सांडे को लेकर शुरू से ये बात चर्चा में रही है कि ये जीव तपते रेगिस्तान में बड़ी आसानी से जिंदा रह लेता है और इसके शरीर में कमाल की ताकत होती है. इसके साथ ही इसके शरीर में चर्बी भी खूब होती है, जिस वजह से इनका शिकार शुरू हुआ और सदियों से लोगों को इनके तेल के नाम पर बेवकूफ बनाया जाता रहा है.
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