(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'खुला' से सानिया मिर्जा और शोएब मलिक के रिश्ते में क्या आएगा फर्क, जानें यह ट्रिपल तलाक से कितना अलग?
सानिया मिर्जा और शोएब मलिक का तलाक चर्चा में है. शोएब के सानिया मिर्जा से ‘खुला' लेने का दावा किया जा रहा है. जानें खुला क्या होता है?
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान शोएब मलिक ने शनिवार को सोशल मीडिया पर फोटो शेयर की कि उन्होंने पाकिस्तानी अभिनेत्री सना जावेद से शादी कर ली है. 2010 में उन्होंने भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा से शादी की थी. वहीं सानिया के पिता इमरान मिर्जा के बयान सामने आए हैं उन्हें कहा कि यह 'खुला' था, जो एक मुस्लिम महिला को अपने पति को तलाक देने का अधिकार देता है. आइए जानते हैं खुला कैसे और कब ले सकते हैं आप...
खुला क्या होता है?
खुला एक इस्लामिक कानूनी प्रावधान है जो मुस्लिम महिलाओं को अपने पति को एकतरफा तलाक देने का अधिकार देता है. खुला के तहत एक मुस्लिम महिला अपने पति को तलाकनामा भेजकर उससे तलाक ले सकती हैं. उसे अपने पति या अन्य किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती. खुला देने के लिए कोई कारण बताना आवश्यक नहीं है. महिला अपनी मर्जी से खुला दे सकती हैं. एक बार खुला दे दिया जाने पर तलाक हो जाता है और दोनों पति-पत्नी अलग हो जाते हैं. यह एक मुस्लिम महिला को दिया गया विशेष अधिकार है जिससे वह अपनी मर्जी से शादी समाप्त कर सकती हैं.
खुला कैसे ले सकते हैं?
खुला देने के लिए पत्नी द्वारा एक "तलाकनामा" लिखा जाता है जिसमें उसके पति को दिए गए तलाक की घोषणा की जाती है.यह तलाकनामा लिखित रूप में होता है और उस पर पत्नी के हस्ताक्षर होते हैं. इसके साथ ही दो गवाहों के हस्ताक्षर भी होते हैं जो इस पर साक्ष्य देते हैं. एक बार पत्नी द्वारा यह लिखित तलाकनामा अपने पति को भेज दिया जाता है और इसे पति स्वीकार कर लेता है तो खुला प्रभावी हो जाता है और नहीं करता है तो पत्नी को काजी के पास जाना होता है. इस लिखित दस्तावेज के जरिये पत्नी अपने पति से कानूनी रूप से अलग हो जाती है.
न्यायालय कार्रवाई की जरूरत नहीं
खुला एक ऐसा तलाक है जिसे मुस्लिम महिला बिना किसी न्यायालय कार्रवाई के कर सकती हैं. खुला देने के बाद पत्नी को कोई भी न्यायालय में मामला दायर करने की आवश्यकता नहीं होती है. खुला में, महिला अपने पति को लिखित तलाकनामा भेजकर एकतरफा और स्वेच्छा से तलाक ले सकती है. एक बार पति को तलाकनामा मिल जाने पर अगर पति स्वीकार कर लिया तो यह तलाक मान लिया जाता है. इसके बाद किसी भी प्रकार के न्यायालयी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती.
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