उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय सिंह गंगवार ने अजीबोगरीब दावा किया है. संजय सिंह हाल ही में पीलीभीत में एक गौशाला का उद्घाटन करने पहुंचे थे. जहां उन्होंने बयान दिया कि गौशाला में लेटने और उसकी सफाई करने से कैंसर ठीक हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि गाय की पीट पर हाथ फेरने से ब्लडप्रेशर कम होता है. सभा को संबोधित करते हुए गंगवार ने आगे कहा कियदि कोई ब्लड प्रेशर का महीज है तो यहां गाये हैं उसे सुबह शाम गाय की पीठ पर हाथ फेरना चाहिए और उसकी सेवा करनी चाहिए. यदि व्यक्ति रक्तचाप की दवा की 20 मिलीग्राम की खुराक ले रहा है तो 10 दिनों में रक्तचाप 10 मिलीग्राम तक कम हो जाएगा. ये बिल्कुल टेस्टेड है.”


संजय सिंह यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कियदि कैंसर का मरीज गौशाला की सफाई शुरू कर दे, उसमें लेटना शुरू कर दे तो कैंसर तक की बीमारी ठीक हो जाएगी. यदि आप गाय के गोबर के उपले जलाते हैं तो मच्छरों से राहत मिलती है. गाय जो कुछ भी पैदा करती है वो किसी न किसी तरह उपयोगी होता है”. संजय सिंह के इस बयान ने हलचल मचा दी है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या वाकई में ऐसा होता है और क्या गौशाला में सफाई करने से कैंसर ठीक होता है? चलिए जानते हैं.


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क्या कहता है विज्ञान?


कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि के कारण होती है. यह अलग-अलग तरह का होता है, जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, आदि. कैंसर का उपचार महंगा और दर्दनाक हो सकता है, जिसमें कीमोथेरपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी शामिल हैं. इसके बावजूद लोगों को वैकल्पिक चिकित्सा की तलाश होती है, जिसमें आयुर्वेद, होम्योपैथी और प्राकृतिक उपचार शामिल हैं.


वैज्ञानिक समुदाय और चिकित्सा विशेषज्ञ इन दावों को पूरी तरह से खारिज करते हैं. कैंसर एक जटिल बीमारी है जिसके लिए अभी तक कोई एकल उपचार नहीं खोजा जा सका है. कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जो वैज्ञानिक अध्ययनों और शोध पर आधारित होते हैं.


क्यों हैं ये दावे निराधार?


दरअसल अभी तक किसी भी वैज्ञानिक अध्ययन ने यह साबित नहीं किया है कि गाय का गोबर या गोशाला में लेटने से कैंसर ठीक हो सकता है. इसके अलावा कैंसर एक जटिल बीमारी है जिसके कई प्रकार होते हैं. यह कई कारकों जैसे कि आनुवंशिकता, पर्यावरण और जीवनशैली से प्रभावित होती है. इसके अलावा ये दावे अक्सर अंधविश्वास और गलत सूचना पर आधारित होते हैं. साथ ही वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार, किसी भी दावे को वैज्ञानिक अध्ययनों और परीक्षणों के माध्यम से सिद्ध किया जाना चाहिए.


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खतरनाक परिणाम


इस तरह के दावों पर विश्वास करके लोग अपने इलाज में देरी कर सकते हैं, जिससे उनकी बीमारी गंभीर हो सकती है. इसके अलावा इन दावों से वैज्ञानिक रूप से सिद्ध उपचारों के प्रति लोगों का विश्वास कम हो सकता है.


वैकल्पिक चिकित्सा और आयुर्वेद


कुछ लोग इन दावों को वैकल्पिक चिकित्सा या आयुर्वेद से जोड़कर देखते हैं. हालांकि, वैकल्पिक चिकित्सा के कुछ तरीकों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा के साथ किया जा सकता है, लेकिन उन्हें कभी भी मुख्य इलाज के रूप में नहीं मानना चाहिए. किसी भी वैकल्पिक उपचार को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.            


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