भारत के इन गांवों में आज भी बोली जाती है संस्कृत, हर घर से है एक इंजीनियर
संस्कृत सबसे पुरानी भाषा तो है ही साथ ही कई भाषाओं की जनक संस्कृत काफी कठिन भी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज भी भारत के कुछ गांवों में बोली जाती है.
भारत में संस्कृत का इतिहास काफी पुराना है. इस भाषा से निकली अन्य भाषाओं ने तो अपनी जगह बना ली, लेकिन धीरे-धीरे ये लोगों के बोलचाल से गायब हो गई. अब अमूमन पूजा-पाठ के मंत्रों में ही संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता हैै. हालांकि शायद आपको जानकर आश्चर्य हो कि अब भी भारत के कुछ गांव ऐसे हैं जहां संस्कृत भाषा ही बोलचाल की मुख्य भाषा है. यहां के लोग काफी डेवलप भी हैं.
इन गांवों में आज भी बोली जाती है संस्कृत
संस्कृत भाषा का जनक महर्षि पाणिनी थे. माना जाता है भारत में पुरात्व में संस्कृत ही बोलचाल की भाषा हुुआ करती थी. फिर धीरे-धीरे इसी भाषा से निकली हिंदी भाषा ने अपनी जगह कब बना ली किसी को पता भी नहीं चला. तो चलिए जानते हैं कि आज केे समय में संस्कृत को मुख्य भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वाली जगह कौन-कौनसी हैं.
मत्तूर- कर्नाटक के मत्तूर में आज भी लोग संस्कृत में बात करते हैं. गंगा नदी के तट पर स्थित मत्तूर के लोगों की प्रथम भाषा यही है. दिलचस्प बात ये है कि यहां आपको हर घर में डॉक्टर इंजीनिय मिल जाएंगे.
झिरी- मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित झिरी में बच्चे-बुजुर्ग सभी संस्कृत में बातचीत करते हैं. यहां के लोगोें की प्रथम भाषा यही है.
सासन- ओडिशा के गुर्दा जिले में स्थित सासन संस्कृत गीतकार जयदेव का जन्म स्थल है. इस गांव में भी लोगों की मुख्य भाषा संस्कृत है और हर घर का व्यक्ति इसी भाषा में बातचीत करता है.
बघुवार- मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में स्थित बघुवार में आज भी एक-दूसरे से संस्कृत भाषा में ही बातचीत होती है. कभी आप जाएंगे तो यहां हर व्यक्ति आपको संस्कृत में बात करता हुआ मिल जाएगा.
गनोडा- राजस्थान के बंसवाड़ा में स्थित गनोडा में प्राथमिल भाषा संस्कृत ही है. यहां बच्चों से लेकर बूढ़े तक संस्कृत में बातचीत करते हैं.
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