संस्कृत भाषा अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. किताबों के कुछ पन्नों तक सीमित ये भाषा कभी भारत के बुद्धिजीवियों की भाषा हुआ करती थी. उस दौर में इसे ज्ञान की भाषा कहा जाता था. लेकिन अब इस भाषा को लेकर बहुत कम लोग उत्साहित दिखते हैं. अंग्रेजी की होड़ में लोग संस्कृत को भूल गए हैं. लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों में अपनी इस ज्ञान की भाषा को लेकर जागरूकता बढ़ रही है. चलिए आज आपको बताते हैं कि भारत के किस राज्य की राजभाषा संस्कृत है.
किस राज्य की राजभाषा संस्कृत है?
आपको बता दें, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजभाषा संस्कृत है. उत्तराखंड राजभाषा अधिनियम 2009 के अंतर्गत संस्कृत को राज्य की दूसरी राजभाषा के रूप में घोषित किया गया है. आपको बता दें, उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को अपनी दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी है. उत्तराखंड में यह निर्णय 2010 में लिया गया था. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करना और उसके अध्ययन और प्रयोग को बढ़ावा देना था.
उत्तराखंड में संस्कृत का महत्व
उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है इसलिए यहां संस्कृत का ऐतिहासिक महत्व है. राज्य में कई प्राचीन संस्कृत शिक्षण संस्थान और आश्रम हैं, जहां परंपरागत रूप से संस्कृत पढ़ा जाता है और पढ़ाया जाता है. इसके अलावा, इस राज्य में कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल भी हैं, जहां संस्कृत भाषा का उपयोग अनुष्ठानों और धार्मिक ग्रंथों के पाठ के लिए किया जाता है. आपको बता दें, उत्तराखंड में सरकार द्वारा संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं. संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों को बढ़ावा दिया जा रहा है और संस्कृत को स्कूलों में एक वैकल्पिक भाषा के रूप में भी पढ़ाया जाता है.
किसकी सरकार में बनी थी संस्कृत दूसरी राजभाषा
ये बात साल 2010 की है. उस समय उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार थी. रमेश पोखरियाल "निशंक" राज्य के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने ही उत्तराखंड में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया था. अगर आप संस्कृत पढ़ना चाहते हैं तो आप उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में एडमिशन ले सकते हैं. ये राज्य का सबसे बड़ा संस्कृत कॉलेज है. इस कॉलेज में संस्कृत की शिक्षा लेने के लिए ना सिर्फ देश के अलग-अलग राज्यों से बल्कि विदेशों से भी छात्र आते हैं.
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