भारत-पाकिस्तान का मैच चल रहा है. कमरे मैं बैठे सभी लोग क्रिकेट देख रहे हैं. उसी कमरे में सोफे पर 19 साल का एक लड़का भी बैठा है. भारतीय बैट्समैन के हाथ में बैट है और वो पाकिस्तान के बॉलर की ओर देखता है, बॉलर तेज गति से बॉल डालने के लिए दौड़ता है, बॉलर ने अभी तक बॉल डाली नहीं है.
लेकिन सोफे पर बैठे 19 साल के लड़के का दिमाग कहता है कि आउट. कुछ ही सेकेंड के बाद बॉलर के हाथ से बॉल छूटता है और बैट्समैन बोल्ड हो जाता है. इस तरह की घटनाएं कई लोगों के साथ हो चुकी हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर जो चीज भविष्य में होने वाली है, उसका अहसास हमें पहले से ही कैसे हो जाता है. चलिए आज आपको इंट्यूशन के पीछे का विज्ञान समझाते हैं.
क्या है इसके पीछे का विज्ञान
न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट और मनोवैज्ञानिक जोएल पियर्सन एक ऐसे व्यक्ति हैं जो इंट्यूशन के विज्ञान से प्रभावित हैं. यही वजह है कि उन्होंने इस पर रिसर्च करने के लिए अपना जीवन लगा दिया. कड़ी मेहनत के बाद उन्हें पता चला कि हमारा दिमाग कभी-कभी मौसम, धूप की रौशनी, व्यक्ति की गति, उसके आस-पास होने वाली आवाजों और सैकड़ों अन्य चीजों के मिश्रण से एक ऐसा विचार तैयार करता है, जो आने वाले पल में सच हो जाता है. हालांकि, ऐसा बार-बार नहीं होता है. ये घटना जीवन में एक या दो बार ही होती है.
दिमाग कई बार हम पर हावी होता है
कई बार ऐसा होता है कि आप कुछ करने जा रहे हों, लेकिन आपका दिमाग अचानक से आपको वो करने से रोक देता है और आप उस काम को छोड़ देते हैं. जैसे- आप हर रोज एक ही रास्ते से घर जाते हैं, लेकिन एक दिन अचानक से आपका दिमाग आपसे कहता है कि इधर से नहीं जाना है. आप दिमाग के इतने कंट्रोल में होते हैं कि आप उधर से नहीं जाते. लेकिन दिमाग ऐसा क्यों करता है.
जोएल पियर्सन ने इसे समझने के लिए 25 साल लगा दिए. उनका मानना है कि हमारा दिमाग हर चीज को ऑब्जर्व करता है और फिर उसी के आधार पर निर्णय लेता है. आप किसी रास्ते से रोज जाते हैं. लेकिन अंतिम बार जब आप उस रास्ते से गए तो आपके शरीर को जो महसूस हुआ, आपकी आंखों ने जो देखा, आपके नाक ने जो सूंघा और आपके कानों ने जो सुना...दिमाग ने हर चीज को ऑब्जर्व किया और उसे लगा कि अगर आप उस रास्ते से गए तो आपके लिए ठीक नहीं होगा और फिर वो आपको उस रास्ते से जाने से रोक देता है.
कई बार लोग इसे इग्नोर कर देते हैं और फिर जब उनके साथ कोई हादसा हो जाता है तो वह कहते हैं कि मेरा दिल कह रहा था कि आज उधर से नहीं जाना है, लेकिन मैंने माना नहीं और मेरे साथ ये हो गया. यहां जो आपसे कह रहा होता है वो आपका दिल नहीं दिमाग होता है. इसलिए जब दिमाग कुछ कहे तो उसे मान लेना चाहिए.
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